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हरम में शाम होते ही रानियों को होने लगती थी बेचैनी, इस बात की सताती रहती थी चिंता

मुगल हरम में सौ दो सौ नहीं बल्कि हजारों रानियां होती थीं जिनकी शामें एक खास इंतजार में गुजरती थीं.
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हरम में शाम होते ही रानियों को होने लगती थी बेचैनी
   

Mugal Harm: मुगल हरम में सौ दो सौ नहीं बल्कि हजारों रानियां होती थीं जिनकी शामें एक खास इंतजार में गुजरती थीं. इस समय हरम शासक की मनोरंजन का केंद्र बन जाता था जहां वे अपनी पसंदीदा रानी के साथ समय बिताते थे. यह वह वक्त था जब रानियों में बेचैनी उत्पन्न होती थी क्योंकि हर एक की इच्छा होती थी कि शासक उन्हें चुनें और उनके साथ रात गुजारें.

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तैयारी का दौर और आकर्षण की तकनीकें

दोपहर बाद से ही हरम की रानियां खुद को आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न जतन (beauty preparations in harem) करती थीं. इसमें सजना-संवरना और अपने हुनर को निखारना शामिल था. ये तैयारियां केवल सौंदर्य को बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि हरम के प्रतिस्पर्धी माहौल में अपनी अहमियत को बरकरार रखने के लिए की जाती थीं.

शाम का प्रभाव और रानियों की आपसी प्रतियोगिता

जैसे ही शाम ढलती, हरम में हलचल और भी बढ़ जाती. रानियां एक दूसरे से बढ़-चढ़कर अपने हुनर और सौंदर्य का प्रदर्शन करतीं ताकि मुगल शासक की नजर उन पर पड़े और वे उन्हें अपने लिए चुनें. इस प्रतियोगिता में जिसके साथ शासक रात गुजारते उसकी हरम में महत्व और असर दोनों बढ़ जाते.

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बढ़ती बेचैनी और राजनीतिक परिणाम

रानियों की यह बेचैनी केवल शारीरिक आकर्षण तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह हरम की राजनीति (harem politics) और शक्ति संघर्ष का भी हिस्सा थी. जो रानी शासक का ध्यान आकर्षित करने में सफल होती, उसे न केवल शासक का प्रेम मिलता बल्कि हरम और दरबार में उसका राजनीतिक असर भी बढ़ता. यह असर उसके परिवार और समर्थकों के लिए भी लाभदायक सिद्ध होता.