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85 साल की उम्र में आधा शरीर नही करता काम फिर भी भेलपूरी बेचने को मजबूर है बुजुर्ग, लकवे से पीड़ित बेटे और परिवार का खर्चा चलाने के लिए कर रहे काम

बीते दिनों बाबा का ढाबा के बाद से लोगों ने बुजुर्गों की मदद करने का सोचा। सोशल मीडिया की ताकत जनता को दिखी। लोगों ने तस्वीरें शेयर की, बताया कि यहां ये बाबा बैठे हैं, यहां ये अम्मा बैठी हैं। लॉकडाउन के कारण उनका काम बिलकुल मंदा पड़ा है। जनता ने हेल्प भी की और दुनिया को ये एहसास करवा दिया कि आदमी ही आदमी का सबसे बड़ा इलाज है। अब एक बुजुर्ग की और कहानी सामने आई है।

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85 साल की उम्र में आधा शरीर नही करता काम फिर भी भेलपूरी बेचने को मजबूर है बुजुर्ग
   

बीते दिनों बाबा का ढाबा के बाद से लोगों ने बुजुर्गों की मदद करने का सोचा। सोशल मीडिया की ताकत जनता को दिखी। लोगों ने तस्वीरें शेयर की, बताया कि यहां ये बाबा बैठे हैं, यहां ये अम्मा बैठी हैं। लॉकडाउन के कारण उनका काम बिलकुल मंदा पड़ा है। जनता ने हेल्प भी की और दुनिया को ये एहसास करवा दिया कि आदमी ही आदमी का सबसे बड़ा इलाज है। अब एक बुजुर्ग की और कहानी सामने आई है।

फेसबुक पर की लोगों ने शेयर

विशाल चौबे नाम के शख्स ने ये कहानी शेयर की। इस वीडियो में जो शख्स दिखाई दे रहे हैं, उनकी उम्र 86 वर्ष है। उनका बेटा लकवाग्रस्त है। वो कुछ कर नहीं सकता है। बुजुर्ग को ही परिवार की रोजी रोटी कमाने के लिए काम करना पड़ता है। वो हर दिन ठेला लगाकर फरीदाबाद की गलियों में भेलपूरी बेचते हैं।

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बाबा भी रहते हैं बीमार

हमारे सहयोगी ‘इंडिया टाइम्स‘ ने बाबा से बात की। उनके हालातों का जायजा लिया। बाबा का नाम है छंगा लाल। 6 उंगलियों की वजह से उनका नाम छंगा लाल है। 86 साल की उम्र में वो हर दिन अपना ठेला लेकर सुबह निकल पड़ते हैं। उनका खुद का भी आधा शरीर काम नहीं करता।

बहु भी करती हैं काम

घर में कमाने वाले बाबा और उनकी बहु ही हैं। उनकी बहु बतौर घरेलु सहायिका लोगों के घरों में काम करती हैं। बाबा के तीन पोते-पोतियां हैं। बाबा और उनकी बहु मिलकर करीब 6 हजार रुपये कमा लेते हैं।

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लॉकडाउन एक मुश्किल दौर था

बाबा जो भेल बेचते हैं, उसकी कीमत 5 रुपये से शुरू होती है। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान घर का गुजारा बाबा ने बहुत मुश्किल से किया। बहु भी काम पर नहीं जा रही थी। लॉकडाउन में आई दिक्कतों के बारे में बाबा कहते हैं, ‘ये बात मैं और मेरा ईश्वर ही जानता है कि हमने कैसे गुजर-बसर किया।’

लोग आ रहे हैं मदद के लिए आगे

विशाल चौबे ने बताया कि उनकी पोस्ट को पढ़ने के बाद से ही कई लोग बाबा की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं ताकि बाबा की सहायता कर सकें। ऐसी सच्ची कहानियां ये बताती हैं कि हमारे बुजुर्ग उम्र के इस दौर में भी कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। अपनी नजरें खुली रखें। आसपास के लोगों की मदद करें।