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इस जगह शादी के बाद हफ़्ते तक दुल्हन को कपड़ें पहनने की होती है सख़्त मनाही, दूल्हे के कपड़ों को देखते ही फाड़ देता है पूरा परिवार

भारत के किसी भी हिस्‍से में चले जाएं, सभी जगह शादियों में काफी धूमधाम, मस्‍ती और हंसी-ठिठोली होती है. इसके अलावा भारतीय शादियों का सबसे अहम हिस्‍सा होता है, दूल्‍हा और दुल्‍हन की निभाई जाने वाली रस्‍में.
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इस जगह शादी के बाद हफ़्ते तक दुल्हन को कपड़ें पहनने की होती है सख़्त मनाही
   

Strange Traditions: भारत के किसी भी हिस्‍से में चले जाएं, सभी जगह शादियों में काफी धूमधाम, मस्‍ती और हंसी-ठिठोली होती है. इसके अलावा भारतीय शादियों का सबसे अहम हिस्‍सा होता है, दूल्‍हा और दुल्‍हन की निभाई जाने वाली रस्‍में.

इनमें कुछ रस्‍में शादी से पहले तो कुछ बाद में तो कुछ शादी के समय निभाई जाती हैं. कहीं, शादी के बाद दुल्‍हन कोई कपड़ा नहीं पहनती है तो कहीं पूरा परिवार मिलकर दूल्‍हे के कपड़े फाड़ देता है. कहीं, दूल्‍हे का स्‍वागत फूलों या मालाओं से नहीं, बल्कि टमाटर मारकर किया जाता है.

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देश के अलग-अलग राज्‍यों में अलग-अलग परंपराएं और रस्‍में निभाई जाती हैं. कुछ परंपराएं ऐसी भी हैं जो आपको चौंका देंगी. आज हम बात कर रहे हैं, कुछ ऐसी ही चौंकाने वाली शादी से जुड़ी परंपराओं की. पहले बात करते हैं भारत के उस गांव की,

जहां शादी के पहले सप्‍ताह नई दुल्‍हन कोई कपड़ा नहीं पहन सकती है. इस दौरान पति-पत्‍नी एकदूसरे से हंसी मजाक भी कर सकते हैं. यही नहीं, दोनों को एकदूसरे से दूर भी रखा जाता है. हिमाचल प्रदेश की मणिकर्ण घाटी के पिणी गांव में ये परंपरा आज भी निभाई जाती है. इसके अलावा दूल्‍हे के लिए भी कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है.

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दूल्‍हे के लिए क्‍या है पहले सप्‍ताह का नियम?

हिमाचल के पिणी गांव में शादी के बाद सिर्फ दुल्‍हन बिना कपड़ों के रहती है. हालांकि, दुल्‍हन इस दौरान सिर्फ ऊन से बने पट्टे पहन सकती है. ये नियम कुछ-कुछ सावन के 5 दिनों में पिणी गांव की महिलाओं के बिना कपड़े पहने रहने की परंपरा जैसा ही है.

यहां सावन के 5 दिनों में महिलाएं और पुरुष कुछ नियमों का पालन करते हैं. जहां महिलाएं 5 दिन कोई कपड़ा नहीं पहनतीं, वहीं पुरुष इस दौरान शराब नहीं पीते. शादी के बाद के पहले सप्‍ताह पुरुष यहां शराब को हाथ तक नहीं लगा सकते हैं. माना जाता है कि अगर दूल्‍हा दुल्‍हन इन प्रथाओं का पालन करते हैं तो उन्‍हें सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है.

कहां दुल्‍हन की मां दूल्‍हे को पिलाती हैं शराब?

छत्तीसगढ में भी शादी से जुड़ी ऐसी रस्‍में हैं, जिनको जानकर आप चौंक सकते हैं. दरअसल, छत्तीसगढ के कवर्धा जिले में बैगा आदिवासी समाज में शादी के दौरान दुल्‍हन की मां दूल्‍हे को शराब पिलाकर रस्‍मों को शुरू करती हैं. इसके बाद पूरा परिवार साथ बैठकर शराब पीता है.

यहां दुल्‍हन भी दूल्‍हे को शराब पिलाती है. इसके बाद शादी का जश्‍न मनाया जाता है. हालांकि, बैगा आदविासी समाज में एक अच्‍छा रिवाज भी है. यहां शादियों में किसी तरह का लेनदेन यानी दहेज या तोहफों का लेनदेन नहीं होता है.

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साथ रहने के एक साल बाद बुजुर्ग देते हैं मंजूरी

कुछ आदिवासी समुदायों में नवविवाहित जोड़ों यानी नई दुल्‍हन ही नहीं दूल्‍हे को भी किसी से बात करने या लोगों से मिलने की मंजूरी नहीं होती है. इन समुदायों में शादी के बाद पति और पत्‍नी को एक गुप्‍त जगह पर भेज दिया जाता है.

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इस दौरान दोनों एकदूसरे के अलावा किसी तीसरे से बात नहीं कर सकते हैं. इस तरह से एकसाथ एक साल रहने के बाद गांव के वरिष्‍ठ लोग शादी को वैध घोषित करते हैं. इसके बाद समुदाय में जबरदस्‍त तरीके से जश्‍न मनाया जाता है. साथ ही शादी का उत्‍सव होता है.

कहां फाड़ डाले जाते हैं दूल्‍हे के सभी कपड़े?

सिंधी समाज में सांठ या वनवास की रस्म में पंडित पूजा करने के बाद एक छल्ला दूल्हे और दुल्हन के दाएं पैर पर बांधता है. इसके बाद सात सुहागनें मिलकर दूल्हा-दुल्हन के सिर पर तेल डालती हैं. इस रस्म के बाद दोनों को नए जूते पहनकर एक मिट्टी का दिया अपने दाएं पैर से तोड़ना पड़ता है.

अगर दिया टूट जाता है तो शुभ संकेत माना जाता है. इस रस्म के बाद दूल्हे के कपड़े फाड़ने की परंपरा है. इस रस्‍म में पूरा परिवार मिलकर दूल्हे के कपड़ों को एक साथ फाड़ देते है. माना जाता है कि इस तरह से कपड़े फाड़ने पर बुरी ताकतें चली जाती हैं और शादी में सबकुछ शुभ ही होता है.