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गाय भैंस पालने वाले पशुपालकों को इस घास की जरुर होनी चाहिए जानकारी, खुराक सही कर दी तो बूढ़ी गाय भी देती है एक्स्ट्रा दूध

भारतीय ग्रामीण जीवन में पशुपालन की अपनी एक विशेष जगह है। इस पेशे को अपनाने वाले लोगों के लिए दुधारू पशुओं का पालन न केवल आजीविका का साधन है बल्कि उनके जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा भी है।
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भारतीय ग्रामीण जीवन में पशुपालन की अपनी एक विशेष जगह है। इस पेशे को अपनाने वाले लोगों के लिए दुधारू पशुओं का पालन न केवल आजीविका का साधन है बल्कि उनके जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा भी है। इस क्षेत्र में सफलता पाने के लिए पशुओं के सही आहार और देखभाल की गहरी समझ आवश्यक है। आज हम बरसीम घास के बारे में बताएंगे की ये पशुओं के लिए के लिए कितना जरूरी है।

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बरसीम

बरसीम एक दलहनी फसल पशुओं के चारे के लिए खासतौर पर उगाई जाती है। इसकी खेती मुख्य रूप से रबी सीजन में की जाती है विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की उचित व्यवस्था हो। बरसीम की विशेषता है इसकी तेजी से बढ़ने की क्षमता और उर्वरक के रूप में मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना।

बरसीम की कटाई का सही समय

बरसीम की बुआई के लगभग डेढ़ से दो महीने बाद इसकी कटाई की जा सकती है। इसे 30 से 35 दिनों के अंतराल में पांच से छह बार काटा जा सकता है जो इसे पशुपालकों के लिए और भी अधिक आकर्षक बनाता है।

पशुओं के लिए बरसीम का महत्व

गर्मियों के दौरान जब पशुओं के दूध देने की क्षमता में कमी आ सकती है बरसीम घास पशुओं के आहार को पूरक बनाने का एक शानदार तरीका है। बरसीम को भूसे में मिलाकर खिलाने से पशुओं का दूध बढ़ता है। पोषण से भरपूर होने के साथ यह पशुओं के पाचन के लिए भी आरामदायक है।

बरसीम की खेती से कमाई में बढ़ोतरी 

बरसीम घास की खेती से न केवल पशुओं के दूध में वृद्धि होती है बल्कि पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। यह घास थोड़ी सी जमीन पर भी उगाई जा सकती है और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी मदद करती है। कई पशुपालक बरसीम की खेती करके इसे शहरी डेयरी फार्मों को बेचते हैं जिससे उनकी कमाई में अच्छी खासी बढ़ोतरी होती है।