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Chanakya Niti: जवानी के जोश में आकर इन औरतों के पीछे ना हो पागल, वरना बदनामी से लेकर हो सकते है बड़े कांड

आचार्य चाणक्य की ‘चाणक्य नीति’ नीतियों का अद्भुत संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना जब इसे लिखा गया था। इन नीतियों से मानव जीवन को सही दिशा मिलती है।
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chanakya niti for characterless womans
   

आचार्य चाणक्य की ‘चाणक्य नीति’ नीतियों का अद्भुत संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना जब इसे लिखा गया था। इन नीतियों से मानव जीवन को सही दिशा मिलती है। चाणक्य को न केवल राजनीति बल्कि समाज के हर विषय का भी गहन ज्ञान और अंतर्दृष्टि थी।

आचार्य चाणक्‍य ने अर्थशास्‍त्र, राजनीति, कूटनीति के अलावा व्‍यवहारिक जीवन की भी कई बातें बताई हैं।  आचार्य चाणक्य ने महिलाओं के विषय में काफी कुछ कहा है। मसलन उनका स्वभाव, उनकी फितरत, उनकी सोच और वो किस समय किस प्रकार से बर्ताव करती हैं।

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इन बातों पर खास अध्ययन किया है। चाणक्य अपने नीति ग्रंथ में लिखते हैं कि कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जिनपर कभी भी भरोसा करने नहीं करना चाहिए। चाणक्य अपने नीति शास्त्र में लिखते हैं…

लुब्धानां याचकः शत्रुः मूर्खाणां बोधको रिपुः ।
जारस्त्रीणां पतिः शत्रुश्चौराणां चंद्रमाः रिपुः ।।

अर्थात चोर के लिए उसका सबसे बड़ा शत्रु चंद्रमा होता है क्योंकि वो चोरी के लिए हमेशा अंधेरे की फिराक में रहता है। ताकि उसकी पहचान उजागर न हो पाए। लेकिन चंद्रमा की रोशनी अंधकार को दूर करती है।

ऐसी महिलाओं पर कभी न करें भरोसा

आचार्य चाणक्य के अनुसार एक भ्रष्ट और बुरे चरित्र वाली महिला के लिए कहा है कि ऐसी महिला कभी भी भरोसे के लायक नहीं होती। वो हमेशा दूसरे पुरुषों के प्रति आकर्षित होती है। ऐसे में उसके लिए उसका पति ही सबसे बड़ा दुश्मन होता है क्योंकि वहीं उसकी मंशा के बीच में बाधा बनता है।

बाहरी सुंदरता

स्त्री की सुंदरता को देखकर उस पर भरोसा बड़ी भूल हो सकती है। बाहरी सुंदरता से ज्यादा जरूरी उसके गुण होने चाहिए, सुंदरता से ज्यादा स्त्री के संस्कार और शिक्षा को ज्यादा महत्व देना चाहिए।

धर्म-कर्म में आस्था कम

आचार्य चाणक्य के अनुसार धर्म-कर्म में आस्था कम रखने वाली स्त्री पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए।

लालच की भावना

आचार्य चाणक्‍य के मुताबिक स्‍त्री में लालच की भावना बहुत खतरनाक होती है। यह न केवल घर की शांति भंग कर देती है बल्कि कई बार पूरे परिवार की बर्बादी का कारण भी बनती है।

अहंकारी स्‍त्री

आचार्य चाणक्‍य के मुताबिक अहंकारी स्‍त्री से मां सरस्‍वती और मां लक्ष्‍मी दोनों ही नाराज रहती हैं। ऐसे में ना तो वह अपने ज्ञान-बुद्धिमानी का उपयोग कर पाती है। साथ ही उसका ऐसा व्‍यवहार सुख-समृद्धि भी खत्‍म कर देता है।