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इस वजह के चलते अमेरिका में बैन है सरसों तेल की बिक्री, कारण तो आपको जरुर पता होना चाहिए

भारतीय खानपान में सरसों का तेल एक प्रमुख स्थान रखता है। खासकर उत्तर और पूर्वी भारत में। यह न सिर्फ खाने को एक अलग स्वाद प्रदान करता है बल्कि इसके स्वास्थ्यवर्धक गुण भी कई होते हैं।
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भारतीय खानपान में सरसों का तेल एक प्रमुख स्थान रखता है। खासकर उत्तर और पूर्वी भारत में। यह न सिर्फ खाने को एक अलग स्वाद प्रदान करता है बल्कि इसके स्वास्थ्यवर्धक गुण भी कई होते हैं। अचार की बात करें तो बिना सरसों के तेल के अचार की कल्पना भी मुश्किल है। क्योंकि यह तेल अचार को लंबे समय तक ताजा रखने में मदद करता है।

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सरसों के तेल के इस्तेमाल में भारत और पश्चिमी देशों के बीच यह अंतर सांस्कृतिक सोच और वैज्ञानिक अनुसंधान के दृष्टिकोणों में भिन्नता को दर्शाता है। जहां एक ओर भारतीय परंपराएँ इसे स्वास्थ्यवर्धक मानती हैं। वहीं पश्चिमी देश इसे स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा समझते हैं।

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अमेरिका और यूके में सरसों के तेल पर प्रतिबंध

जहां भारत में सरसों का तेल बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है, वहीं अमेरिका और यूके जैसे देशों में इस पर खाद्य तेल के रूप में प्रतिबंध है। अमेरिका में तो खाने के लिए सरसों के तेल का विक्रय पूरी तरह बैन है। यह जानकारी बहुत से भारतीयों को हैरान कर सकती है जो इस तेल के स्वास्थ्य लाभ से परिचित हैं।

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सरसों के तेल पर प्रतिबंध का कारण

अमेरिका में सरसों के तेल पर प्रतिबंध का मुख्य कारण इसमें मौजूद इरुसिक एसिड है। इस एसिड को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। खासकर यह चूहों पर किए गए अध्ययनों में हृदय सम्बंधित समस्याओं को बढ़ावा देने के लिए दिखाई दिया है। इसी वजह से अमेरिका और यूके ने खाने के लिए इस तेल के उपयोग पर रोक लगा दी है।

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वैश्विक बाजार में सरसों के तेल का उपयोग

हालांकि यूके में सरसों के तेल का उपयोग बाहरी तौर पर किया जा सकता है, जैसे कि मालिश के लिए। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभिन्न देशों में सरसों के तेल के उपयोग को लेकर विभिन्न नियम और मानदंड हैं।