home page

पहले के जमाने के लिए लोग बिना फ्रिज और घड़े के इस तरीक़े से रखते थे पानी ठंडा, हर घर में होता था इस तरीक़े का इस्तेमाल

देश में बढ़ती गर्मी ने लोगों का जीना बेहाल कर रखा है। पारा बढ़ने की वजह से कई लोगों ने खुद को घरों में कैद कर लिया है, कुछ लोग राहत पाने के लिए कहीं ठंडे प्रदेश में निकल पड़े हैं।
 | 
Canvas bottle with straw
   

देश में बढ़ती गर्मी ने लोगों का जीना बेहाल कर रखा है। पारा बढ़ने की वजह से कई लोगों ने खुद को घरों में कैद कर लिया है, कुछ लोग राहत पाने के लिए कहीं ठंडे प्रदेश में निकल पड़े हैं। गर्मियों के मौसम में हमें प्यास ज्यादा लगती है और ज्यादातर लोग प्यास बुझाने के लिए पानी की बोतल अपने साथ रखते हैं।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

मौजूदा समय में अधिकतर लोग सफर में प्लास्टिक की बोतल पानी रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है, जब प्लास्टिक की बोतल नहीं थी तब पानी को कैसे रखा जाता था?

कैनवास से बनी बोतल

मौजूदा दौर में प्लास्टिक के बोतल का चलन बढ़ गया है जो सेहत के लिए हानिकारक भी है लेकिन पुराने जमाने में प्लास्टिक की जगह कपड़े की बोतल का इस्तेमाल किया जाता था और यह कपड़ा कैनवास का होता था। कपड़े की बोतल में पानी रखने से वह लंबे समय तक टिका रहता था और इसकी ठंडक बरकरार रहती थी।

पुराने जमाने में कपड़े से बनी इस बोतल को 'छागल' कहा जाता था। आज भी आप इस बोतल को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर खरीद सकते हैं। हैरान करने वाली बात ये थी कि इस बोतल में पानी भाप बनकर उड़ता भी नहीं था और इससे पानी बाहर लीक भी नहीं होता था।

बोतल में महीन छेद से हवा

पुराने जमाने में प्लास्टिक नहीं होने की वजह से इस बोतल के ढक्कन को लकड़ी से बनाया जाता था। लकड़ी का गुटका बोतल के एक सिरे पर बंद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। कैनवास से बनी बोतल का इस्तेमाल लोग यात्रा के दौरान पानी साथ रखने के लिए करते थे।

कई बार ट्रेन में सफर करते हुए लोग इसे ट्रेन की खिड़की से टांग दिया करते थे। कैनवास के बाहर बने महीन छेद से हवा बोतल के अंदर घुसती थी और बोतल के अंदर रखा पानी ठंडा हो जाता था।