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भगवान ने नही दी आँखो की रोशनी पर अपनी क़ाबिलियत से सबको चौंका देते है ये स्टूडेंट्स, टैलेंट देखकर आप भी करेंगे वाहवाही

रांची में दृष्टिबाधित यानी नेत्रहीन बच्चों का एक ऐसा ग्रुप है जो पढ़ाई तो करता है ब्रेल लिपि से लेकिन इनके बनाए हुए वीडियो एल्बम अच्छे-अच्छे लोगो को अपने आप थिरकने पर मजबूर कर देते हैं।
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Blind children of Ranchi
   

रांची में दृष्टिबाधित यानी नेत्रहीन बच्चों का एक ऐसा ग्रुप है जो पढ़ाई तो करता है ब्रेल लिपि से लेकिन इनके बनाए हुए वीडियो एल्बम अच्छे-अच्छे लोगो को अपने आप थिरकने पर मजबूर कर देते हैं। बेहद ही खास बात यह है कि वीडियो ​एल्बम बनाने के लिए यह बच्चे खुद से गाना तैयार करते हैं, उसकी धुन बनाते हैं और खुद ही गाने को गाकर यूट्यूब समेत अन्य सोशल मीडिया पर अपलोड की करते हैं।

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नेत्रहीन बच्चों ने संगीत की दुनिया में मचाया धमाल

बात कर रहे हैं हम रांची के हरमू स्थित राजकीय नेत्रहीन मध्य विद्यालय और यहां के बच्चों की। कहा जाए तो यहां के बच्चों पर ज्ञान और संगीत की देवी सरस्वती की विशेष कृपा बनी हुई है। मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले छोटी सी उम्र के इन बच्चों ने संगीत की दुनिया में धमाल मचा दिया है। इनके बनाए हुए गाने आज यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर ढेरो लाइक और कमेंट पा रहे हैं।

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बात होली और रामनवमी जैसे पर्व की हो या फिर किसी अन्य उत्सव की। नेत्रहीन विद्यालय के इन बच्चों की खुशियां मनाने का तरीका बिल्कुल अलग है। कुछ खास मौके पर यहां के बच्चे पर्व त्योहार के अनुरूप खुद से गाने कंपोज करते हैं, गाते हैं और उसे यूट्यूब पर अपलोड करते हैं।

अधिकांश बच्चे विशेष प्रतिभा के धनी

महिला-बाल विकास विभाग की ओर से संचालित रांची के हरमू में स्थित राजकीय नेत्रहीन विद्यालय बाहर से देखने में दूसरे नेत्रहीन विद्यालयों की तरह ही दिखता है। लेकिन विद्यालय परिसर के अंदर जब कदम बढ़ते हैं तब एहसास होता है कि यह विद्यालय और यहां के बच्चे कुछ खास है।

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सामान्य नेत्रहीन विद्यालयों की तरह यहां के बच्चे तो ब्रेल लिपि में ही पढ़ाई करते हैं। इन बच्चों को खास बनाने वाली बात है गीत संगीत के प्रति रुचि और उसमें अपना लोहा मनवाने की। 25 बच्चों की क्षमता वाले इस विद्यालय के अधिकांश बच्चे विशेष प्रतिभा के धनी है।

​सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है वीडियो

राजकुमार, ऋषिकेश और छोटू समेत अन्य बच्चे आपस में मिलकर गाना लिखते हैं, उसकी धुन तैयार करते है। गाने की पूरी प्रक्रिया को पूरी करने के बाद नामी-गिरामी गायक की तरह वे गायकी का भी काम खुद से ही करते हैं। इनके लिखे हुए और गाए हुए गाने आज यूट्यूब पर जमकर वायरल हो रहे हैं। इनके गाने को सुनने वाले भी जमकर इन की सराहना करते हैं।

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श्रोताओं और दर्शकों के ढेरों लाइक्स और कमेंट इनके हौसलों को पंख देने का काम करते हैं। खास बात यह है कि यह बच्चे किसी एक जगह या जिले के नहीं है बल्कि रांची, रामगढ़ और अन्य कई जिलों के बच्चे एक साथ इस विद्यालय में पढ़ते हैं। छात्रावास में घर परिवार की तरह रहते हैं। ऐसा नहीं है कि यह बच्चे सिर्फ ब्रेल लिपि में पढ़ाई करते हैं और गीत संगीत में अपना नाम कमा रहे हैं।

रोजगार परक कई ऐसे काम है जो यह बच्चे छोटी सी उम्र में ही सीख रहे हैं। जिसे भविष्य में वे अपनी कमाई का जरिया बना सकते हैं। यहां के बच्चे चटाई की बुनाई और लकड़ी की कुर्सी बनाने समेत कई अन्य कामों को बखूबी सीख रहे हैं। भविष्य में इन क्षेत्रों में खुद का स्वरोजगार भी करने की बातें करते हैं।

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​दृष्टिबाधित होने के बावजूद प्रतिभा के धनी

राजकीय नेत्रहीन विद्यालय के प्राचार्य रोवीश कुमार बताते हैं की फिलहाल यहां पर 25 बच्चे पढ़ रहे हैं। सभी बच्चे दृष्टिबाधित हैं। लेकिन यह सभी बच्चे प्रतिभा के काफी धनी है। दृष्टि बाधित होने की वजह से पढ़ाई तो यहां के सभी बच्चे ब्रेल लिपि में ही करते हैं लेकिन इन बच्चों की जो भी अन्य गतिविधियां होती हैं वह शायद देखने वाले बच्चे भी नहीं कर पाते हैं।

उन्होंने बताया की यहां के बच्चे खेलकूद, गीत संगीत और सरकारी नौकरियों अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। दृष्टि बाधित होने के बावजूद यह बच्चे खुद लिरिक्स लिखते हैं, ट्रेक बनाते हैं। यहां के बच्चों ने वर्ष 2017 में ओडिशा में आयोजित अंदर फोर्टिन नेत्रहीन क्रिकेट टूर्नामेंट में भी हिस्सा लिया था और ट्रॉफी जीतकर रांची का नाम रोशन किया था।

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विद्यालय के प्राचार्य ने बताया कि कई पूर्व वर्ती छात्र रेलवे और बैंक में नौकरी कर रहे हैं। इनके अलावा टेक्निकल पढ़ाई करने वाले बच्चे भी आज देश के कई अलग-अलग प्रतिष्ठानों में जॉब कर रहे हैं।

नेत्रहीन बच्चों में हौसले की कमी नहीं

हमारे समाज में एक और जहां शारीरिक रूप से सक्षम और साधन संपन्न व्यक्ति मुश्किल के वक्त में भगवान को दोष ठहराने में पीछे नहीं हटते, वही हरमू के राजकीय नेत्रहीन विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र शारीरिक कमजोरी को ही अपनी मजबूती बनाकर समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने में जुटे हुए हैं।

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दृष्टि बाधित होने के बावजूद इन बच्चों के हौसले अन्य बच्चों से कम नहीं है। बस जरूरत है कि इन बच्चों का हाथ समाज थामने का काम करें और हाथ से हाथ मिला कर इन्हें और आगे बढ़ने का मौका प्रदान करें।