कभी सोचा है कि टायरों का रंग काला ही क्यों होता है, लाल या पीले रंग क्यों नही होता
आपने अपने जीवन में साइकिल से लेकर कार, ट्रक, हवाईजहाज और बस आदि देखी होंगी। इन सबकी कॉमन चीज ये है कि ये सभी टायरों से युक्त होते हैं। टायर इनका वो अंग होते हैं, जिसके बगैर ये एक कदम नहीं चल सकते। हां बस ये जरूर होता है कि अलग अलग वाहनों के टायर अलग साइज के होते हैं।
इन टायरों में भी एक कॉमन चीज होती है। क्या आपके दिमाग में कभी ये सवाल आया कि दुनिया में जहां कहीं भी टायर का इस्तेमाल किया जा रहा है, या किया गया, उनका रंग काला ही क्यों है। टायर आखिर दूसरे रंग के क्यों नहीं होते।
हम जब कार से लेकर तमाम चीजें खरीदते हैं तो उसमें हम कई उत्पादों को उनका रंग देखकर भी खरीदते हैं। लेकिन टायर के लिए कभी रंग हमारी च्वाइस नहीं होती, क्योंकि टायर का रंग तो केवल काला ही होता है।
कब से शुरू होता है टायरों का इतिहास
आपने सोचा कि ऐसा क्यों होता है। टायर का इतिहास 1800 से शुरू होता है। टायर मूल तौर पर फ्रेंच शब्द टायरर से बना है, जिसका मतलब खींचने वाला। हवा वाले रबर के टायरों से पहले टायर चमड़े, लोहे या लकड़ी के बने होते थे, जो पहियों को टूटने से सुरक्षित रखते थे।
जब टायरों का प्रचलन शुरू हुआ तो इसके साथ बहुत प्रयोग हुए। फिर रबर के टायर की शुरुआत के साथ इसमें एक स्थायित्व आने लगा। हालांकि पहला दमदार टायर वो था जिसमें अंदर रबर की ट्यूब में हवा भरकर उसको बनाया गया था।
टायर शब्द कहां से आया
टायर शब्द फ्रेंच के शब्द टायरर से बना है। जिसका मतलब होता है खींचने वाला। आज जिन टायरों को आप देख रहे हैं उनसे पहले मानव ने चमड़े के, लोहे के और लकड़ी के टायर अपने अपने समय में बनाए थे।
जिस तरह से दुनिया तेजी से बदल रही है और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी को लोग अपना रहे हैं, वह दिन दूर नहीं जब टायर रबर की बजाय किसी और मटेरियल से बनने लगेंगे।
प्रोडक्शन किए गए पहले रबर टायर का रंग सफेद था
लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि 125 साल पहले जब पहले रबर टायर का प्रोडक्शन किया गया तो ये सफेद रंग का था। जिस रबर का इस्तेमाल इसको बनाने के लिए किया वो दूधिया सफेद रंग की थी। लेकिन उसके बाद इसका रंग काला कैसे हो गया।
जवाब ये है कि ये टायर जिस रबर और मटीरियल से बनाया गया था, वो इतना दमदार नहीं था कि आटोमोबाइल के वजन को बर्दाश्त कर पाए और साथ ही सड़क पर बेहतर प्रदर्शन कर पाए।
कॉर्बन ब्लैक मिलाने से इसका रंग बदल गया
इसलिए इसमें ऐसा कुछ मिलाने की जरूरत महसूस की गई जो इसे ताकतवर भी बनाए और लंबे समय तक इसे चलाने लायक भी बनाए। तब इस रबर में कॉर्बन ब्लैक जैसे मटीरियल मिलाया गया।
इससे टायर का रंग पूरी तरह काला हो गया। रंग काला जरूर हो गया लेकिन टायर का ताकत, क्षमता और लंबे समय तक चल पाने का माद्दा बढ़ गया।