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मच्छरों का खात्मा करने वाला इलेक्ट्रिक बेट कैसे काम करता है, जाने मच्छरों से छुटकारा पाने में कितना है कारगर

गर्मियों के आगमन के साथ ही मच्छरों का आतंक बढ़ जाता है जो न सिर्फ असहजता पैदा करते हैं बल्कि कई बीमारियों के वाहक भी बन सकते हैं। घरों में मच्छरों की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय किए जाते...
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How do mosquito bats work
   

गर्मियों के आगमन के साथ ही मच्छरों का आतंक बढ़ जाता है जो न सिर्फ असहजता पैदा करते हैं बल्कि कई बीमारियों के वाहक भी बन सकते हैं। घरों में मच्छरों की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय किए जाते हैं जिनमें इलेक्ट्रिक मच्छर बैट एक प्रभावी समाधान के रूप में उभरा है।

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इलेक्ट्रिक मच्छर बैट ने मच्छरों के नियंत्रण में बहुत उपयोगी है जिससे न सिर्फ समय की बचत होती है बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी हानिरहित है।

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इलेक्ट्रिक बैट की कार्यप्रणाली

इलेक्ट्रिक बैट मूल रूप से एक हैंडहेल्ड डिवाइस है जिसमें धातु की तीन जालियां होती हैं। केंद्रीय जाली पर सकारात्मक चार्ज और बाहरी जालियों पर नकारात्मक चार्ज होता है।

जब मच्छर इन चार्ज्ड जालियों को छूता है तो विद्युत प्रवाह सक्रिय हो जाता है और मच्छर तत्काल मर जाता है। यह विद्युत प्रवाह बिजली गिरने जैसे प्रभाव को उत्पन्न करता है जिससे मच्छर तुरंत मरता है।

इलेक्ट्रिक बैट की उपयोगिता और वोल्टेज

यह डिवाइस लगभग 1,400 वोल्ट विद्युत वोल्टेज प्रदान करती है जो तत्काल और असरदार समाधान सुनिश्चित करता है। यह उपकरण न केवल मच्छरों को मारने में कारगर है बल्कि इसका इस्तेमाल अन्य छोटे कीटों को भी खत्म करने में किया जा सकता है।

इसके प्रयोग से वातावरण में कीटनाशकों के छिड़काव की आवश्यकता कम हो जाती है जिससे पर्यावरण पर भी कम प्रभाव पड़ता है।

how to kill mosquito

इलेक्ट्रिक बैट के आविष्कारक और इतिहास

इलेक्ट्रिक मच्छर बैट का आविष्कार ताइवान के त्साओ-ए शिह ने 1996 में किया था। यह आविष्कार मच्छरों के खिलाफ एक रचनात्मक प्रयोग के रूप में सामने आया जिसे इलेक्ट्रिक फ्लाईस्वैटर रैकेट जैपर या जैप रैकेट के नाम से भी जाना जाता है।

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पुराने जमाने में मच्छरों के नियंत्रण की तकनीकें

ऐतिहासिक रूप से मच्छरदानी का उपयोग मच्छरों से रक्षा करने के लिए प्राचीन काल से किया जा रहा है। मच्छरदानी का प्रयोग प्राचीन मिस्र में भी किया जाता था और इसका उल्लेख भारतीय साहित्य में भी मिलता है। यह पुरानी परंपराएं मच्छरों से सुरक्षा के लिए आज भी प्रयोग की जाती हैं लेकिन नई तकनीकों ने इसे और भी आसान बना दिया है।