भारत में 1KM की रेल पटरी बिछाने के लिए कितना आता है खर्चा, पानी की तरह पैसे बहाता है रेल्वे
भारतीय रेलवे जिसकी स्थापना के बाद से ही इसका विस्तार लगातार जारी है। भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इसकी कुल लम्बाई और इसके विस्तार पर होने वाला खर्च न केवल इसकी विशालता को दर्शाता है। बल्कि यह भी बताता है कि इसे बनाए रखने में कितनी बड़ी आर्थिक चुनौतियाँ शामिल हैं।
भारतीय रेलवे की विशालता और इसके परिचालन में लगने वाले खर्च की जानकारी न केवल इसकी विशालता को दर्शाती है, बल्कि इस बात का भी संकेत देती है कि राष्ट्रीय परिवहन प्रणाली के रूप में इसका महत्व कितना बड़ा है।
इसके सुचारू संचालन और निरंतर विकास के लिए आवश्यक धनराशि और तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता इसे एक जटिल लेकिन महत्वपूर्ण विषय बनाती है।
रेलवे नेटवर्क की विशालता
भारतीय रेलवे की लम्बाई मार्च 2019 तक 67,956 किलोमीटर थी। जिसमें रनिंग ट्रैक, यार्ड और साइडिंग को मिलाकर कुल लम्बाई 1,26,366 किलोमीटर तक जा पहुँचती है। इस विस्तारित नेटवर्क का निर्माण और रख-रखाव एक विशाल वित्तीय योजना की मांग करता है।
रेलवे ट्रैक की लागत
रेलवे ट्रैक की लागत का निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि ट्रैक की स्थिति और प्रकार। मैदानी इलाकों में ट्रैक बिछाने की लागत पहाड़ी इलाकों की तुलना में कम होती है। वहीं हाई स्पीड ट्रेनों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली ट्रैक बिछाने की लागत काफी अधिक होती है।
मैदानी इलाकों में एक किलोमीटर ट्रैक बिछाने की लागत लगभग 10 से 12 करोड़ रुपये होती है। जबकि हाई स्पीड ट्रैक के लिए यह लागत 100 से 140 करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है।
रेलवे ट्रैक की दीर्घकालिक स्थायित्व
रेलवे ट्रैक की सामग्री के चयन में भी बड़ी सावधानी बरती जाती है। इसमें मुख्य रूप से मैंगनीज स्टील का उपयोग किया जाता है, जो कि जंगरोधी होता है और इसे लंबे समय तक टिकाऊ बनाता है। इस प्रकार की ट्रैक का उपयोग ट्रेनों को अधिक सुरक्षित और कुशल बनाता है।