मेडिकल फील्ड की पढ़ाई को छोड़कर काबिलियत के दम पर बनी IAS अफसर, तीसरी कोशिश में क्रैक कर डाला UPSC परीक्षा
UPSC परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद हर साल देशभर के लाखों छात्र इसमें शामिल होते हैं। हालांकि हर साल बहुत कम छात्र ही इसे क्लियर कर पाते हैं।
इस परीक्षा को पास करना बहुत मुश्किल होता है और कई बार असफल होने के बाद कड़ी मेहनत कर दोबारा परीक्षा देते हैं। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की रहने वाली डॉ. अपाला मिश्रा की कहानी भी ऐसी ही है।
2 बार फेल होने के बाद तीसरी बार रचा इतिहास
डॉ। अपाला मिश्रा लगातार दो बार असफलता हाथ लगी और वह प्रीलिम्स एग्जाम भी पास नहीं कर पाईं। हालांकि तीसरे प्रयास में अपाला ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और सीएसई 2020 में 9वीं रैंक हासिल कर आईएएस अफसर बन गईं।
अपाला ने इंटरव्यू के दौरान 215 नंबर हासिल किए, जो यूपीएससी एग्जाम में सबसे ज्यादा है। इससे पहले इससे पहले इंटरव्यू राउंड में सबसे अधिक अंकों का रिकॉर्ड 212 था।
हजारी प्रसाद द्विवेदी की नातिन हैं अपाला
DNA की रिपोर्ट के अनुसार, अपाला मिश्रा का परिवार गाजियाबाद में वसुंधरा के सेक्टर 5 में रहता है और वह आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की नातिन हैं। अपाला की मां हजारी प्रसाद द्विवेदी की भतीजी हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी की हिंदी फैकल्टी की प्रोफेसर हैं। अपाला के पिता का नाम अमिताभ मिश्रा है, जो आर्मी में कर्नल रहे हैं और उनके भाई मेजर हैं।
देहरादून से की शुरुआती पढ़ाई
अपाला मिश्रा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई देहरादून से की और 10वीं के बाद पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गईं। 12वीं के बाद अपाला ने हैदराबाद के आर्मी कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस से डेंटल सर्जरी में ग्रेजुएशन की डिग्री ली और एक प्रोफेशनल डेंटिस्ट बनीं।
डॉक्टर बनने के बाद यूपीएससी की तैयारी
डेंटिस्ट बनने के बाद अपाला मिश्रा ने यूपीएससी एग्जाम देने का फैसला किया और साल 2018 में पहले बाद एग्जाम दिया। अपनी तैयारी को लेकर अपाला बताती हैं कि मैंने साल 2018 में UPSC की परीक्षा के बारे में पढ़ने और कोर्स को समझने की कोशिश की।
इसके अलावा अपनी ताकत और कमजोरियों पर ध्यान दिया, क्योंकि इसका कोर्स मेरे लिए काफी अलग था। इसलिए पैटर्न को समझने में समय लगा।
कोचिंग छोड़ खुद की तैयारी से मिली सफलता
अपाला मिश्रा ने बताया, 'यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के लिए मैं रोजाना करीब 7 से 8 घंटे पढ़ाई करती थी। शुरू में मैंने तैयारी के लिए कोचिंग जॉइन की, लेकिन कुछ दिनों के बाद मैंने खुद पढ़ने का निर्णय लिया और अपने तरीके से तैयारी शुरू की।'
उन्होंने बताया, 'मेरे पिता सेना में कर्नल हैं और मैं कई घंटों तक अपने पिता से सेना के बारे में जानकारी लेती थी। इसके अलावा मेरी मां अल्पना मिश्रा ने मुझे साहित्य को समझने में मदद करती थीं।'