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UP में अगर घर में ये चीज दिखी तो कट सकता है आपका राशन, हो सकती है कानूनी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में राशन कार्डों के वेरिफ़िकेशन के निर्देश जारी किए हैं, जिसका उद्देश्य राशन वितरण प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और कामयाब बनाना है। इस वेरिफ़िकेशन प्रक्रिया के माध्यम से उन लोगों की....
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eligibility for ration card
   

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में राशन कार्डों के वेरिफ़िकेशन के निर्देश जारी किए हैं, जिसका उद्देश्य राशन वितरण प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और कामयाब बनाना है। इस वेरिफ़िकेशन प्रक्रिया के माध्यम से उन लोगों की पहचान की जाएगी जो अपात्र हैं या जिनके पास विशेष आर्थिक संसाधन हैं, लेकिन फिर भी वे राशन कार्ड का लाभ उठा रहे हैं।

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वेरिफ़िकेशन प्रक्रिया की विशेषताएँ

राज्य सरकार ने विशेष रूप से स्पष्ट किया है कि जिन घरों में एसी, चार पहिया वाहन, ट्रैक्टर या शस्त्र मौजूद हैं, उनके राशन कार्ड रद्द किए जाएंगे। यह निर्णय यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि राशन कार्ड का लाभ केवल असली जरूरतमंदों तक पहुँचे।

लाभार्थियों की संख्या और चुनौतियाँ

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत जिले में कुल 388286 राशनकार्ड हैं, जिनमें 1667335 लाभार्थी हैं। हालांकि इस सिस्टम में कई बार गड़बड़ियाँ भी पाई गई हैं जैसे कि अपात्रों के कार्ड बनाने की शिकायतें। इसलिए,यह वेरिफ़िकेशन न केवल आवश्यक है बल्कि समय की माँग भी है।

वेरिफ़िकेशन की प्रक्रिया

ग्रामीण क्षेत्रों में खंड विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी और रोजगार सेवकों को वेरिफ़िकेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह कार्य अधिशासी अधिकारी और निकाय के अन्य कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा।

यह प्रक्रिया घर-घर जाकर और सीधे लाभार्थियों से संपर्क करके पूरी की जाएगी ताकि राशन कार्ड धारकों की असली स्थिति की जाँच की जा सके।

वेरिफ़िकेशन के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी

गांवों में मुख्य विकास अधिकारी और शहरी क्षेत्रों में जिलाधिकारी को वेरिफ़िकेशन प्रक्रिया के लिए नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। ये अधिकारी वेरिफ़िकेशन की पूरी प्रक्रिया की निगरानी और संचालन करेंगे, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी अपात्र व्यक्ति राशन कार्ड का लाभ न उठा सके।

अपात्रों के खिलाफ कार्रवाई

वेरिफ़िकेशन के दौरान जिन लोगों को अपात्र पाया जाएगा तो उनका राशन कार्ड रद्द कर दिया जाएगा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इससे राशन वितरण प्रणाली को और अधिक प्रभावी और लाभार्थी-केंद्रित बनाने में मदद मिलेगी।