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अगर सफ़ेद रबड़ से बनते है टायर तो फिर काला कैसे हो जाता है इनका रंग, 90 प्रतिशत लोगों को नही पता होती सच्चाई

हर व्यक्ति कार चलाने का शौक रखता है। जिन लोगों के पास कार नहीं है, वे बाइक से प्रेम करते हैं।
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हर व्यक्ति कार चलाने का शौक रखता है। जिन लोगों के पास कार नहीं है, वे बाइक से प्रेम करते हैं। साइकिल या बाइक से प्यार करते हैं। उसके काले टायर सबसे अलग हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि कार के टायर का रंग काला क्यों होता है? पहली बात यह है कि यह बिना किसी उद्देश्य के नहीं होता। काले टायर महंगी कारों के होते हैं। इसके पीछे साइंटिफिक रीजन हैं।

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सफेद होता है वो रबर

टायर बनाने के लिए पहले सफेद रबर का उपयोग करें। यह रबर सख्त होने के कारण अकेले इसका टायर नहीं हो सकता। यह रबर भी बहुत सॉफ्ट है, इसलिए घिसना जल्दी होता है। इसलिए यह मजबूत होना चाहिए। फिर सामग्री को मिलाया जाता है। इससे टायर का रंग काला हो जाता है। यह कार्बन है। इसमें कार्बन और सल्फर शामिल हैं।

इससे मजबूती भी आती है

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इससे इसके टायर को मजबूती मिलती है। इनके कारण टायर भी जल्दी नहीं घिसते। काले टायर में ब्लैक कार्बन होने के कारण यूवी किरणों से काले टायर को बचाया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, साधारण रबर 8 हजार किलोमीटर तक चल सकता है, लेकिन कार्बन मिलाने के बाद यह एक लाख किलोमीटर तक चल सकता है।

अगर दूसरे रंग के टायर होते तो

तुमने देखा होगा कि छोटे बच्चों की साइकिल के टायर अलग-अलग रंग के होते हैं। उन्हें छूकर देखने से पता चलेगा कि वह बहुत अधिक बोझ नहीं सह सकते। इसके अलावा, यह साइकिल बहुत कम दूरी पर चल सकती है। इसका मुलायम टायर इसका कारण है। इस तरह के टायर वाले गाड़ी और बाइक बनाने वाली कंपनियां घाटे में जाएंगी।