पुराने टाइम में शादी के कार्ड नही छपते थे तब कैसे भेजा जाता था शादी का निमंत्रण, बड़ी ही मजेदार है असली जानकारी
विवाह के निमंत्रण पत्रों का इतिहास उतना ही रोचक है जितनी कि हमारी संस्कृतियां। जहां आज हम डिजिटल प्रिंटिंग और लग्जरी पैकेजिंग के युग में जी रहे हैं वहीं बहुत पहले जब प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार भी नहीं हुआ था तब शादी की सूचनाएं अनोखे तरीकों से दी जाती थीं। प्राचीन यूनान में तो शादी के निमंत्रण पत्थर पर उकेर कर दिए जाते थे जो कि उस समय की अनोखी प्रथा थी।
भारतीय संदर्भ में विवाह निमंत्रण का विकास
भारत में भी शादी के निमंत्रण का चलन काफी पुराना है। पहले जब पोस्टल सिस्टम नहीं था तो लिखित निमंत्रण पत्र हरकारों द्वारा भेजे जाते थे। इससे भी पहले, लोग घर-घर जाकर मौखिक रूप से शादी की सूचना देते थे, जिसे 'मुनादी' कहा जाता था।
पश्चिमी देशों में निमंत्रण की परंपरा
इंग्लैंड में, 1447 से पहले टाउन क्रायर नामक व्यक्ति शहर में घूम-घूम कर शादी की घोषणा करता था। यह तब एक अधिकृत पेशा था और इसे अपनाने की परंपरा थी। यह तरीका उस समय के समाज में जानकारी के प्रसार का एक महत्वपूर्ण साधन था।
हस्तलिखित निमंत्रण का युग
जब प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार हुआ उससे पहले यूरोप में अभिजात वर्ग खुद के लिए विशेष हस्तलिखित निमंत्रण पत्र तैयार करवाता था। ये पत्र सुंदर और कलात्मक तरीके से लिखे जाते थे और इन्हें सजाने के लिए महंगी सामग्री का इस्तेमाल किया जाता था।
प्रिंटिंग तकनीक का आगमन और असर
प्रिंटिंग मशीन के आगमन ने निमंत्रण पत्रों को बड़े पैमाने पर और किफायती बना दिया। अब मध्यवर्गीय परिवार भी अपने लिए छपे हुए निमंत्रण का आर्डर दे सकते थे। इससे निमंत्रण पत्रों की सामाजिक पहुंच में बढ़ोतरी हुई और ये ज्यादा लोकप्रिय हो गए।
भारतीय निमंत्रण कार्डों में आधुनिकता का तड़का
भारत में 19वीं सदी में शुरू हुए इस चलन ने धीरे-धीरे अधिक सांस्कृतिक छाप ली। 1960 के दशक में रंगीन और चटकीले कार्डों का प्रयोग शुरू हुआ। 1980 के दशक में इनमें भारतीय संस्कृति के प्रतीक जैसे कि भगवान गणेश और श्री राधा-कृष्ण के चित्र जोड़े गए जिससे ये और भी अधिक आकर्षक बन गए।
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डिजिटल क्रांति के युग में निमंत्रण पत्र
21वीं सदी की डिजिटल क्रांति ने निमंत्रण पत्रों के स्वरूप को फिर से परिभाषित किया है। अब ई-निमंत्रण पत्रों का चलन बढ़ रहा है जो कि तत्काल भेजे जा सकते हैं और अधिक किफायती होते हैं। इस नए प्रारूप ने विवाह निमंत्रणों की परंपरा को और भी व्यापक बना दिया है।