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इस राज्य में MSP से भी ज्यादा दाम पर गेंहु खरीद रहे है व्यापारी, किसानों को खेतों में ही मिल रहा बढ़िया ऑफर

बांका जिले में गेहूं की खरीदारी उम्मीद से काफी कम रही है। खरीद शुरू होने के 42 दिनों के बावजूद केवल आठ किसानों ने अपना गेहूं बेचा है जिसका कुल वजन महज 21.9 मीट्रिक टन रहा।
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बांका जिले में गेहूं की खरीदारी उम्मीद से काफी कम रही है। खरीद शुरू होने के 42 दिनों के बावजूद केवल आठ किसानों ने अपना गेहूं बेचा है जिसका कुल वजन महज 21.9 मीट्रिक टन रहा। इस खरीद के लिए केवल 36 किसानों ने ही आवेदन किया है जो कि उत्पादन के आंकड़ों के मुकाबले बहुत कम है।

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बाजार मूल्य और समर्थन मूल्य में अंतर के कारण सरकारी गोदामों की गेहूं खरीद पर असर पड़ रहा है जिससे विभाग को नई रणनीतियाँ अपनाने की आवश्यकता है।

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उत्पादन और खेती के आंकड़े

कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष जिले में लगभग 38 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती की गई थी जिसमें प्रति हेक्टेयर 20 से 22 क्विंटल के बीच उत्पादन की संभावना थी। इतने अधिक उत्पादन के बावजूद किसानों का सरकारी खरीद की ओर रुख कम ही देखने को मिला है।

सरकारी खरीद केंद्र और प्रयास

बाजार मूल्य के मुकाबले समर्थन मूल्य कम होने के कारण किसानों ने अपने उत्पादन को सरकारी चैनलों के जरिए बेचने में कम रुचि दिखाई है। इसके बावजूद सरकार द्वारा रजौन के तेरहमाइल और अमरपुर प्रखंड में गेहूं खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं जहाँ किसान सीधे अपना गेहूं बेच सकते हैं।

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बाजार मूल्य की तुलना में समर्थन मूल्य कम

इस वर्ष सरकार ने गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि बाजार में गेहूं का मूल्य प्रति क्विंटल 2400 रुपये के आसपास है। इस वजह से किसानों ने बाजार से अधिक मूल्य पर अपने उत्पादन को बेचना उचित समझा है।

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विभागीय चुनौतियाँ और निर्देश

गेहूं खरीद में आ रही समस्याओं के कारण विभागीय चिंताएं बढ़ गई हैं। जिला सहकारिता पदाधिकारी ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे गेहूं को समर्थन मूल्य पर सरकारी चैनलों के माध्यम से बेचें जिससे उन्हें तय समय में भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। सभी प्रभारी प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारियों को भी किसानों को इस दिशा में प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए गए हैं।