1987 में रामायण के एक एपिसोड को बनाने के लिए लाखों में खर्च करने पड़ते थे पैसे, जब टेलिकास्ट हुई तो कमाई ने तोड़ डाले सारे रिकार्ड
छोटा पर्दा हो या फिर बड़ा पर्दा, दर्शकों के लिए अभी तक कई माइथोलॉजिकल कंटेंट पेश किए जा चुके हैं। लेकिन दर्शकों का जो प्यार रामानंद सागर की रामायण को मिला, वो सक्सेस कोई और शो नहीं दोहरा पाया। 1987 में रामायण, दूरदर्शन पर शुरू हुआ था, जिसे खूब प्यार मिला।
छोटा पर्दा हो या फिर बड़ा पर्दा, दर्शकों के लिए अभी तक कई माइथोलॉजिकल कंटेंट पेश किए जा चुके हैं। लेकिन दर्शकों का जो प्यार रामानंद सागर की रामायण को मिला, वो सक्सेस कोई और शो नहीं दोहरा पाया। 1987 में रामायण, दूरदर्शन पर शुरू हुआ था, जिसे खूब प्यार मिला।
शहरों और गांव का आलम ऐसा होता था, जैसे बाहर कर्फ्यू लग गया हो, क्योंकि हर कोई टीवी के सामने बैठा होता था। 80 के दशक के बाद जब कोविड काल में रामायण टेलीकास्ट हुआ तो भी उसे दर्शकों ने खूब पसंद किया।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शो के एक एपिसोड को बनाने में कितना वक्त लगता था? कितना खर्च होता था? रामायण से जुड़े कुछ फैक्ट्स हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं।
एक एपिसोड पर खर्च होते थे 9 लाख
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1987 में रामायण के एक एपिसोड को बनाने में 9 लाख रुपये खर्च होते थे। वहीं इसके एक एपिसोड से करीब 40 लाख रुपये की कमाई होती थी। वहीं अगर इसे आज के इन्फ्लेशन रेट से तुलना करें तो ये कमाई करीब साढ़े 5 करोड़ रुपये है।
रिपोर्ट के मुताबिक पूरे शो को शूट करने में 7 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि इससे 23 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। बता दें कि रामायण का एक एपिसोड करीब 35 मिनट का हुआ करता था।
राम, सीता और लक्ष्मण को आज भी पूजते हैं लोग
रामानंद सागर की रामायण में प्रभु राम के किरदार में अरुण गोविल, माता सीता के कैरेक्टर में दीपिका चिखलिया और लक्ष्मण के रोल में सुनील लहरी नजर आए थे। अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को
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दर्शकों ने इतना प्यार दिया कि लोग अक्सर हकीकत में उन्हें राम-सीता मानकर उनके पैर छू लेते थे। ऐसे ही कई किस्से अरुण गोविल और दीपिका ने शेयर किए थे। जहां लोग उन्हें रियल लाइफ में राम-सीता जैसे पूजने लगे थे।