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1 अप्रैल से शराब की कीमतों में हुई 150 से 200 रुपए की बढ़ोतरी, शराब के शौकीन लोगों की उड़ी रातों की नींद

प्रदेश में 1 अप्रैल से नई आबकारी नीति लागू होने के साथ ही शराब के शौकीनों की जेब पर भारी बोझ पड़ने वाला है। इस नई नीति के तहत अंग्रेजी शराब से लेकर बियर तक की दरों में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है...
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Liquor Prices Hike
   

प्रदेश में 1 अप्रैल से नई आबकारी नीति लागू होने के साथ ही शराब के शौकीनों की जेब पर भारी बोझ पड़ने वाला है। इस नई नीति के तहत अंग्रेजी शराब से लेकर बियर तक की दरों में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिससे कीमतों में 150 से 200 रुपए तक का इजाफा हुआ है।

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इस वृद्धि से सुरा प्रेमियों को अब अपनी पसंदीदा बोतल के लिए अधिक खर्च करना पड़ेगा। इस नई आबकारी नीति और नवीनीकरण प्रक्रिया के माध्यम से आबकारी विभाग ने राजस्व में बढ़ोतरी की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है। वहीं शराब प्रेमियों के लिए यह वृद्धि उनकी जेब पर भारी पड़ने वाली है।

शराब दुकानों का हुआ नवीनीकरण

राजधानी समेत पूरे प्रदेश में शराब दुकानों का नवीनीकरण हो चुका है। नई नीति के अनुसार, 95 प्रतिशत दुकानों का नवीनीकरण 15 प्रतिशत की बढ़ी हुई रिजर्व प्राइस पर किया गया है। इससे राजधानी में स्थित 87 शराब दुकानों के लिए निर्धारित लक्ष्य राशि में भारी बढ़ोतरी हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 123 करोड़ रुपए अधिक है।

आबकारी विभाग की महत्वाकांक्षी लक्ष्य

आबकारी विभाग ने इस वर्ष एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके तहत पूरे प्रदेश की 3600 कम्पोजिट मदिरा दुकानों के निष्पादन को लक्षित किया गया है। विभाग ने इस साल 15000 करोड़ रुपए का एक बड़ा लक्ष्य रखा है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 12.22 प्रतिशत अधिक है।

नीलामी प्रक्रिया में उत्साह और चुनौतियां

शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में इस वर्ष उत्साह के साथ-साथ चुनौतियां भी सामने आईं। अंतिम दिन विशेष रूप से तीन मुख्य समूहों के लिए ई-बोली लगाई गई, जिसमें देर रात तक चली मशक्कत के बाद कुछ समूहों को तय रिजर्व प्राइस से कम पर नीलाम कर दिया गया। इस प्रक्रिया में कुल 33 टेंडर प्राप्त हुए।

लक्ष्य और प्राप्ति में अंतर

आबकारी विभाग द्वारा तय किए गए 916 करोड़ रुपए के लक्ष्य की तुलना में विभाग को 894 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ, जो लक्ष्य से 2.42 प्रतिशत कम है। हालांकि यह राजस्व पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है, फिर भी विभाग के सामने चुनौती यह है कि वह कैसे अपने तय लक्ष्य को पूरा करे।