इतिहास की ख़तरनाक महिला से जिसने बाप से चलाया प्यार का चक्कर और बेटे से बनाए सम्बंध, उस टाइम नाम सुनते ही लोगों की कांपने लगती थी टाँगे
हर मुगल बादशाह का किसी न किसी विवाद से नाम तो जुड़ा ही रहता था। मुगल सल्तनत की मुगल हरम बादशाहों की अय्याशी का अड्डा रहा है। ये प्रथा बाबर के द्वारा शुरू की गई थी। मुगलों का सबसे क्रूर शाषक औरंगजेब भी इस अय्याशी से दूर नही था।
हर मुगल बादशाह का किसी न किसी विवाद से नाम तो जुड़ा ही रहता था। मुगल सल्तनत की मुगल हरम बादशाहों की अय्याशी का अड्डा रहा है। ये प्रथा बाबर के द्वारा शुरू की गई थी। मुगलों का सबसे क्रूर शाषक औरंगजेब भी इस अय्याशी से दूर नही था।
उस दौर की एक महिला लाल कुंवर पर इस कदर लट्टू हुआ कि उनके चर्चे दूर-दूर तक फैलने लगे। हालांकि बाद में इसी महिला औरंगजेब के पोते और लाल कुंवर की नजदीकियों के चर्चे भी बहुत सुनने मिले।
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दरबार में था एक अलग रुतबा
औरंगजेब ने राज गद्दी हासिल करने के लिए अपने पिता को कारवास में डलवा दिया था और अपने सगे भाई को मरवा डाला था। वैसे तो औरंगजेब दुनिया भर की बातों से दूर रहता था लेकिन वो एक महिला की खुबसूरती और उसके नृत्य पर ऐसा मोहित मोहित हुआ की बाकी सब भूल गया।
लाल कुंवर एक तवायफ थी जो मुजरा करके बादशाहों का दिल बहलाती थी, लेकिन औरंगजेब लाल कुंवर पर ऐसा लट्टू हुआ कि मुगल दरबार में उसका रुतबा और दखल दोनों बढ़ने लगा। लाल कुंवर को शाही सदस्य जैसा रूतबा और सम्मान दिया जाने लगा। वो औरंगजेब के सबसे करीबी बन गई।
जलती थी सब रानियां
लाल कुंवर के रुतबे और सम्मान को देखकर महल की बेगमें भी उससे जलने लगती थी। जब भी लाल कुंवर कही जाती तो बाकायदा खास सैनिकों की एक टुकड़ी उसके आगे-पीछे चलती थी। वो हाथी पर चलती थी। नगाड़े बजाकर उसके आने जाने की जानकारी दी जाती थी।
उसकी शान में रास्ते भी खाली कर दिए जाते थे। इस कदर बढ़ता रसूख औरंगजेब की सगी बहन, बेटियों और बेगमों को रास नहीं आ रहा था। क्योंकि वो दरबाद में भी सलाह देने लगती। औरंगजेब के आदेश को भी वो फौरन बदलवा सकती थी। दिल्ली के लाल बंगला इलाके में उसके लिए एक शानदार महल बनवाया गया था, वही जगह बाद में उसका मकबरा बना दिया गया।
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औरगंजेब से प्यार उसके पोते से की शादी
औरंगजेब के बेटों आजम शाह और बहादुर शाह के पास सत्ता ज्यादा वक्त तक न टिक सकी। आगे जाकर बहादुर शाह का बेटा जहांदार शाह बादशाह बना। जहांदार ने अय्याशी के मामले में अपने बाप दादाओं को भी पीछे छोड़ दिया और एक बार उसकी नजर लाल कुंवर पर पड़ी तो वो भी उसे दिल दे बैठा।
उसे लाल कुंवर से पहली नजर का प्यार हो गया। दोनों को एक दूसरे से मोहब्बत हो गई। दोनों का प्यार इस कदर परवान चढ़ा कि उसने लाल कुंवर से निकाह किया और उसे इम्तियाज महल नाम दे दिया।
काल कोठरी में हुई मौत
जहांदार ने लाल कुंवर को बेगम बनाया, बल्कि भोग विलास और सत्ता का हर सुख दिया। लाल कुंवर और जहांदार शाह, दोनों शौकीन थे। दोनों हमेशा भोग विलास और शराब के नशे में धुत रहते थे। मुगलों की हालत और खराब हुई तो जहांदार शाह और लाल कुंवर के बुरे दिन शुरु हो गए।
सत्ता और सिंहासन के लिए शाह की हत्या कर दी गई। जिसके बाद लाल कुंवर को एक कोठरी में बाकी जिंदगी काटनी पड़ी। लाल कुंवर एक ऐसी महिला की कहानी है जिसने एक मुगल बादशाह को कंगाल बना दिया।