2 साल के छोटे से बच्चे को कीड़े और मकोड़े खिलाती दिखी मां, बोली इन चीजों को खाने से प्रोटीन मिलेगा और खून की कमी नही होगी
बच्चे को क्या खिलाएं-क्या नहीं खिलाएं, यही सोच-सोच कर माताएं हमेशा परेशान रहती हैं. क्योंकि यह उम्र उसके शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी है. ऐसे में उन्हें जितना पोषणयुक्त खाना मिले, उतना अच्छा. जितना प्रोटीन दे सकें, फैट दे सकें,
बच्चे को क्या खिलाएं-क्या नहीं खिलाएं, यही सोच-सोच कर माताएं हमेशा परेशान रहती हैं. क्योंकि यह उम्र उसके शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी है. ऐसे में उन्हें जितना पोषणयुक्त खाना मिले, उतना अच्छा. जितना प्रोटीन दे सकें, फैट दे सकें,
उतना बेहतर. लेकिन एक मां ने प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए अजीबोगरीब तरीका अपनाया. वह अपने 2 साल के बच्चे को कीड़ा खिला रही है. दावा है कि इसमें खूब प्रोटीन होता है और अन्य सप्लीमेंट की कमी को भी पूरा करता है.
कनाडा के टोरंटो शहर में रहने वाली वीनस कलामी खुद भी फूड ब्लॉगर हैं. उन्होंने कहा, मैनें अब तक जिन देशों की यात्रा की है वहां कुछ न कुछ नया ट्राई करने की कोशिश की है. तली हुई टारेंटयुला टांगों से लेकर बिच्छू तक सब कुछ चखा है.
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मैंने थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों की यात्रा के दौरान झींगुर और चींटियों का भी आनंद लिया है. मुझे यह काफी पसंद आया था. मैं चाहता हूं कि यह हमारे रूटीन के भोजन में भी शामिल होना चाहिए. कुछ दिनों पहले मैं जब वापस आया तो अपने 2 साल के बच्चे को भी यह खिलाने का फैसला किया.
केवल 2 बड़ा चम्मच झींगुर पाउडर एक बच्चे की दैनिक प्रोटीन की जरूरत का 100% प्रदान करता है. इससे आयरन की कमी पूरी होती है और बच्चे को कभी एनीमिया भी नहीं होगा. पाचन तंत्र भी बेहतर होगा.
Woman adds crickets into her baby’s food after she finds out crickets are a great source of protein, says she “loves them” ‼️😳 pic.twitter.com/PPa9JLx0Gm
— Pubity (@pubity) April 23, 2023
महंगाई की वजह से लिया फैसला
इनसाइडर की खबर के मुताबिक, कलामी ने कहा-आप सोच रहे होंगे कि यह जिद्दीपने की बात है, लेकिन हकीकत ये है कि मैं अपने फूड बिल में कटौती करना चाहता था. महंगाई इतनी ज्यादा है कि हर हफ्ते खाने पर अब 300 डॉलर तक ज्यादा खर्च हो रहा है.
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हम अक्सर मांस नहीं खरीद पाते. इसकी वजह से बच्चे को सही प्रोटीन नहीं मिल पा रहा था. उसके बाद मेरे दिमाग में आइडिया आया. मैनें उसे झींगुर का पफ स्नैक्स, झींगुर से बना प्रोटीन पाउडर और भूने हुए झींगुर खिलाने का फैसला किया. इससे हमारे वीकली फूड बिल में 300 डॉलर तक की कमी आ गई;
दूसरों को भी दे रहीं सलाह
बाल रोग विशेषज्ञ कलामी ने कहा, बच्चों को क्या खाना है, क्या नहीं खाना है. उनकी च्वाइस इसी उम्र में तय हो जाती है. अगर वे सबकुछ खाना शुरू कर देंगे तो बाद में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी. वे किसी भी माहौल में रह लेंगे. उनके अंदर नकारात्मक भावना नहीं आएगी.
रूढ़िवादिता से आगे निकलने की उनमें शक्ति होगी. कलामी ने कहा, मैं उसे 6 महीने की उम्र से ही देना चाहता था लेकिन मुझे रोक दिया गया. उन्होंने अन्य मांओं को भी यह सलाह दी. कहा-बच्चों को देने से पहले तय कर लें कि उन्हें कैसे देना ठीक होगा. आप दलिया में पिसी हुई झींगुर मिला सकती हैं. उसका प्यूरी बनाकर डाल सकती हैं. या फिंगर फूड के रूप में भी दे सकती हैं.