Mughal Empire: ज्यादातर मुगल बादशाह अपने दरबार में पहलवानों की बजाय रखते थे किन्नर, बादशाह को खुश करने के लिए दिन रात करना पड़ता था ये काम
जब भी इतिहास के पन्नों में मुगलों की कहानियां पढ़ते हैं तो उनके अत्याचार, उनकी राजशाही से जुड़ी कहानियां काफी मिलती है। सुनने को मिलता है कि अपने शौक के लिए मुगल किसी भी हद तक चले जाते थे और उस दौर में महिलाओं पर भी काफी अत्याचार करते थे।
दरबार में कई लोग काम करते थे, जिनमें ट्रांसजेंडर्स भी शामिल थे। इतिहास में मुगल दरबारों में ट्रांसजेंडर्स के होने का जिक्र मिलता है और उनका संबंध उनकी रानियों से बताया जाता है।
तो आज हम आपको बताते हैं कि मुगल दरबार में ट्रांसजेंडर्स ने किस कारण से रखे जाते थे और उनका वहां क्या काम होता था। साथ ही आपको बताएंगे ट्रांसजेंडर्स और मुगल शासकों से जुड़े किस्से, जो आपके लिए जानना काफी दिलचस्प है…
बता दें कि 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व से ट्रांसजेंडर अस्तित्व में हैं। eunuch यानी नपुंसक शब्द ग्रीक शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘बिस्तर का ध्यान रखने वाला’। वैसे भारत में मुगल साम्राज्य से काफी पहले से भारत में ट्रांसजेंडर्स रह रहे हैं।
यहां तक कि ट्रांसजेंडर्स का जिक्र वेद, कामसूत्र, मनु स्मृति और महाभारत सहित प्राचीन भारतीय शास्त्रों में पाया जा सकता है। कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हदीस में ‘हीत’ नामक एक ट्रांसजेंडर की उपस्थिति के बारे में बताया जाता है।
मुगल काल में ट्रांसेजेंडर्स की स्थिति
मुगल काल के दौरान ट्रांसजेंडर्स को एक बहुत ही प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त था। कहा जाता है कि वे ताज और मुगल शासकों की सबसे पसंदीदा चीज के सेवक माने जाते थे। शाही घरों में ट्रांसजेंडर महिलाओं के क्वार्टरों की रखवाली करने का काम ट्रांसजेंडर्स के पास था।
उस दौर में वे पढ़े-लिखे थे और अपनी बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते थे। इतना ही नहीं, मुगलों के महल में रहकर वे कई युवा राजकुमारियों को पढ़ाते थे। कई रिपोर्ट में तो ये भी दावा है कि कई माता-पिता अपने बच्चों को इसलिए नपुंसक इसलिए बना देते थे ताकि मुगल दरबार में उन्हें नौकरी मिल सके।
इसके अलावा वे एक दूत का काम भी करते थे और जनाना और मर्दाना वर्ग में बातें पहुंचाते थे। इसके साथ ही अपने संगीत, नृत्य और चुटकुलों से शाही महिलाओं का मनोरंजन करते थे। कहा जाता है कि मुगल काल के दौरान, एक अलग विभाग था।
जिसका नेतृत्व ट्रांसजेंडर होता था और इस पद को ख्वाजासरा के नाम से जाना जाता था। शाहजहां और जहांगीर ख्वाजासारा के समय में एक महत्वपूर्ण विभाग था। आगरा में एक ट्रांसजेंडर टॉम्ब भी है, जो बताता है कि मुगल काल में ट्रांसजेंडर्स का कितना अहम स्थान था।