Mughal Empire: इस मुगल बादशाह को औरतों के कपड़े पहनने का था बहुत शौंक, इन कामों में उड़ाता था खूब दौलत
औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल सल्तनत की स्थिति अच्छी नहीं चल रही थी। औरंगजेब की कठोर मान्यताओं से हिन्दू जनता परेशान हो गई और विद्रोह करने लगी। जब औरंगजेब जीवित था तब भी खुद औरंगजेब इन पर काबू नहीं पा सका था।
बेशक उसने विद्रोहों को कुचलने का प्रयास तो किया, लेकिन सफल नहीं हो सका। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसका पुत्र बहादुर शाह मुगलिया शासक बना। फिर, पांच साल बाद, जहांदार शाह शासक बने, उसके छह साल बाद फर्रुखशियर शासक बने।
हालाँकि, ये बादशाह बहुत ताकतवर नहीं थे और ऐसा लगने लगा था कि मुगलिया सल्तनत कमजोर होती जा रही थी। इस समय के दौरान, मुहम्मद शाह रंगीला नामक एक सम्राट था जो शासक बन गया, लेकिन वह वास्तव में अपने पूर्वजों की तरह राज्य को नियंत्रित नहीं कर सका।
वह एक अच्छा सम्राट था, लेकिन उसके पास उतनी शक्ति नहीं थी जितनी उसके पहले उसके पूर्वजों के पास थी। इस वजह से उनके बारे में अफवाह फैलने लगी। जिसने उसे कहीं का न छोड़ा।
कैसा बादशाह था शाह रंगीला
मोहम्मद शाह रंगीला का जन्म 1702 में हुआ था, उस समय औरंगजेब मुगल सल्तनत पर शासन कर रहा था। 1719 में जब राजा बने तो उन्होंने अपना नाम बदलकर मोहम्मद शाह रख लिया।
पहले उन्हें रोशन अख्तर कहा जाता था। लेकिन जब वह राजा बने तो मोहम्मद शाह ने खुद को रंगीला कहना शुरू कर दिया और फिर बाकी सभी लोग भी उन्हें यही कहने लगे।
क्या थी वो अफवाह
मुगल बादशाह शाह रंगीला को कला बहुत पसंद थी। इतिहासकारों का कहना है कि वह कला से उतना ही प्यार करता था जितना औरंगजेब उसे नापसंद करता था और कलाकारों को रचना करने से रोकने की कोशिश करता था। लेकिन शाह रंगीला के शासनकाल के दौरान उनके मर्दाना न होने के बारे में खूब अफवाह उड़ी थी।
इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल के मुताबिक हालात यहां तक पहुंच गए थे कि बादशाह को अपनी मर्दानगी का सबूत देने के लिए अपनी एक कनीज के साथ संबंध बनाते हुए एक चित्र बनाना पड़ा।
रंगीला को पसंद करती थी प्रजा
इतिहासकारों का मानना है कि मुहम्मद शाह रंगीला को कला बहुत पसंद थी और इसी वजह से लोग उन्हें पसंद करते थे। राजा के दरबार में रहने वाले कुली खान भी इस बारे में बात करते हैं।
उन्होंने अपनी किताब मरकए दिल्ली में लिखा है कि शाह रंगीला के समय मुगल साम्राज्य में लोग आराम से जिंदगी बसर कर रहे थे। उस वक्त लोगों को धार्मिक आजादी थी। धर्मस्थलों पर लोगों की भीड़ लगी रहती थी।