Mughal Haram: मुगल हरम में बीमारी का बहाना बनाकर बाहरी मर्दों को बुलाती थी रानियां, बीमारी के बहाने उनके हाथों से सहलाती थी शरीर के अंग
मुगलों के हरम में बड़ी संख्या में किन्नरों की तैनाती की जाती थी। किसी भी बाहर से आने वाले इंसान को लाना और उसे बाहर तक छोड़ना, उनकी जिम्मेदारी का अहम हिस्सा था। जब भी शाही घराने में किसी चिकित्सक को बुलाया जाता था तो किन्नर उसका सिर ढक देते थे ताकि वो अंदर का माहौल न देख सके।
इलाज के बाद उसे बाहर निकालने का तरीका भी वही रहता था। लेकिन जब मेरा वहां आना-जाना आम हो गया तो उनका मुझ पर भरोसा बढ़ गया और पाबंदिया नहीं रहीं। इतावली चिकित्सक मनूची ने यह आपबीती अपनी किताब ‘मुगल इंडिया’ में लिखी है।
मनूची एक चिकित्सक रहे हैं और उनके दारा शिकोह के साथ सम्बंध अच्छे रहे हैं। वो अपने संस्मरण में लिखते हैं कि एक बार मैं हरम में जा रहा था तभी शिकोह की नजर मुझ पर पड़ी। उसी वक्त उसने किन्नर को आदेश दिया। कहा आंखों को ढक रहे कपड़ों को हटाया जाए और भविष्य में मुझे ऐसे ही हरम में ले जाया जाए।
इसके पीछे शहजादे की खास सोच थी। शहजादा शिकोह मानता था कि ईसाइयों में सोच में वो अश्लीलता और गंदगी नहीं होती है जैसी मुस्लिमों में होती है, इसलिए उसे आजादी के साथ हरम में जाने की अनुमति मिली।
महिलाएं जानबूझ कर बीमारी का बहाना बनाती थीं
मनूची लिखते हैं, हरम में मौजूद महिलाओं को उनके पति के अलावा किसी और से मिलने की इजाजत नहीं थी। इसलिए वो जानबूझकर खुद को बीमार बताती थीं, ताकि उनसे मिलने कोई मर्द चिकित्सक आए और नब्ज टटोलने के बहाने छुए और वो भी उन्हें छू सकें।
यह मुलाकात बिल्कुल खुले माहौल में नहीं होती थी। चिकित्सक और महिला के बीच में एक पर्दा लगा होता था। चिकित्सक नब्ज देखने के लिए पर्दे के भीतर अपना हाथ बढ़ाते थे। उसी दौरान कई महिलाएं उसका हाथ चूम लेती थीं और कुछ तो प्यार से काटती भी थीं।
इतना ही नहीं कुछ औरते उसका हाथ अपनी छाती से स्पर्श कराती थीं। मनूची के मुताबिक, कई बार मेरे साथ ऐसा ही हुआ। उस दौरान मैं ऐसा व्यवहार करता था कि मानों कुछ हो ही नहीं रहा, ताकि पास बैठे किन्नर को इसकी जानकारी न मिले।
क्या होता है कि हरम का मतलब
यह शब्द अरबी भाषा से आया है। जिसका मतलब होता है पवित्र या वर्जित। मुगल सम्राज्य में हरम की शुरुआत बाबर के दौर में ही हो गई थी। उसने मात्र 4 साल हुकूमत की थी और उसका ज्यादातर समय जंग के मैदान में बीता, इसलिए उसके दौर में हरम को बहुत अधिक विकसित नहीं किया गया था।
मुगल साम्राज्य को विशाल रूप देने का काम अकबर ने किया। उसे व्यवस्थित बनाया। उसके हरम में अलग-अलग देशों, धर्म और संस्कृतियों वाली महिलाओं को रखा गया था। हरम में मुगलों की पत्नियों के साथ उनकी महिला रिश्तेदार भी रहा करती थीं।
हालांकि हरम में महिलाओं की पहुंच अलग-अलग तरह से होती थी। कुछ पत्नियों के रूप में होती थी, कुछ को जबरन इसलिए लाया जाता था क्योंकि बादशाह की उन पर नजर पड़ी और दिल आ गया। वहीं, कुछ उपहार के दौर में उन्हें दूसरी सल्तनत से मिलती थीं।
हरम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी
इस सवाल के जवाब में मनूची लिखते हैं कि हरम की जरूरत के पीछे मुगलों की मानसिकता जिम्मेदार थी। मुसलमानों को महिलाओं से खास लगाव रहा था। उन्हें उनके बीच काफी सुकून मिलता था। हालांकि हरम बनाने का मकसद केवल यौन सुख पाना ही नहीं था।
हरम में बच्चों की परवरिश भी की जाती थी। हम्माम था, स्कूल और खेल के मैदान भी थे। स्नानघर से लेकर रसोई घर भी हुआ करते थे। इतना ही नहीं हरम में शाही खजाने,गुप्त दस्तावेज और शाही मुहर भी रखी जाती थीं। यह सब इंतजाम इसलिए किए जाते थे।
ताकि बादशाह अपने सारे काम वहां से भी कर सके वो भी बिना किसी परेशानी के। हरम में औरतों की संख्या इतना ज्यादा होती थी कि कई ऐसी दासी भी होती थीं जिनकी पूरी उम्र बीतने के बाद भी बादशाह को नजर भरके देख तक नहीं पाती थीं।
हरम की आलीशान जिंदगी
मनूची लिखते हैं कि हरम में रहने वाली औरतों का जीवन बेहद आलीशान होता था। रोजाना सुबह शाही महिलाओं के लिए कपड़े आते थे, जो कपड़ा एक बार वो पहन लेती थीं, उसे दोबारा नहीं पहनती थीं। वो कपड़ा दासियों में बांट दिया जाता था।
शाही औरतें फव्वारों के पास लेटी रहती थीं। रात में आतिशबाजी के नजारे का लुत्फ उठाती थीं। मुर्गे की लड़ाई में दिलचस्पी लेती थीं। इसके अलावा गजलें सुनना, तीरंदाजी करना और किस्से-कहानियां सुनना उनके रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा हुआ करता था।
अकबर के हरम में पांच हजार औरते थीं
अकबर के हरम में 5 हजार औरते थीं। उसने हर को इतना व्यवस्थित कर रखा था कि हरम को कई हिस्सों में बांट दिया था। किसी तरह की कोई कलह न हो इसके लिए दरोगा की नियुक्ति भी की गई थी। इतना ही नहीं, कुछ महिलाओं को बतौर गुप्तचर रखा जाता था।
अकबर ने हरम को लेकर जो नियम बनाए अगली पीढ़ी में उनका पालन किया गया।जब भी हरम में कोई नई लड़की आती थी तो उससे बाहरी दुनिया से सम्बंध न रखने की बात कही जाती थी। बादशाह की मौत के बाद भी हरम को न छोड़ने का नियम बना हुआ था।