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Mughal Harem: इस शख़्स के कारण 68 दिनों तक भरे दरबार में बिन कपड़ें नाचती थी मुगल शहज़ादियां, फिर पूरी रात करवाता था ये काम

मुगलकाल में मुगलों की क्रूरता और अय्याशी के बारे में बहुत कहानियां थीं। लेकिन मुगल शासन समाप्त हो रहा था
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मुगलकाल में मुगलों की क्रूरता और अय्याशी के बारे में बहुत कहानियां थीं। लेकिन मुगल शासन समाप्त हो रहा था, और मुगल वजीर गुलाम कादिर को गद्दी पर बैठने का इरादा था। गुलाम कादिर ने बादशाह को बहुत शातिर ढंग से वजीर-ए-आजम बनाया।

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बहुत कोशिश के बाद भी गुलाम कादिर मुगलों के खजाने तक नहीं पहुंच पाया। वह खजाने का राज जानने के लिए बादशाह शाह आलम द्वितीय को बार-बार अपमानित करता था।

यहां तक कि गुलाम कादिर भी मुगल शहजादियों से नहीं छूट गया। भरे दरबार में उनका अपमान हुआ। उनकी इज्जत को तार-तार किया गया और वे निर्वस्त्र नचाए गए। 10 अगस्त 1788 को, गुलाम कादिर ने बादशाह शाह आलम द्वितीय को छोड़ दिया क्योंकि उसने ऐसा नहीं किया।

फिर खड़ा होकर बादशाह शाह आलम द्वितीय की छाती पर पैर रखकर दरबारी चित्रकार से चित्र बनाया। शाह आलम ने गुमाल कादिर की क्रूरता से सहानुभूति व्यक्त की और काबुल से भी गुमाल कादिर के खिलाफ सहायता की पेशकश की।

मराठा सरदार महादाजी शिंदे ने फिर दिल्ली चला गया। बाद में ग़ुलाम क़ादिर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगा। जो मथुरा में गिरफ्तार किया गया था। गुलाब कादिर को एक पिंजड़े में डालकर कान, नाक, होंठ और पैर एक-एक कर काटे गए। साथ ही, लाल किले भेजे गए।

सबसे आखिरी में, गुलाम कादिर की आंखे वाली एक बोतल लाल किले तक पहुंचाई गई। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि ग़ुलाम क़ादिर का बचपन ऐसा ही था, इसलिए वह इतना वहशी हुआ। उसके पिता ने कई बार दिल्ली के खिलाफ विद्रोह किया था। जो शाह आलम ने हराकर आठ से दस वर्ष के गुलाम कादिर को जेल में डाल दिया।

बादशाह ने गुलाम कादिर को बधिया करवाया क्योंकि वह बहुत सुंदर था। वह महिलाओं के कपड़े पहनकर नाचता है। बादशाह को गुलाम कादिर को अपना खास बेटा भी कहते थे, लेकिन वह उसकी जिस्मानी भूख को शांत करने का साधन था।