Mughal Harem: मुगल हरम की सुरक्षा करने वाले किन्नर जीते थे राजाओं जैसी ज़िंदगी, किन्नरो की डिमांड बढ़ी तो लोगों ने पैसों के लिए अपने बच्चों को जानबूझकर बना दिया
मुगलों का हरम किसी छोटे शहर जैसा होता था। जहां महिलाएं अलग-अलग क्षेत्र, धर्म, भाषा और संस्कृति से आती थीं मुगल हरम राजाओं की अय्याशी का स्थान होता था। हरम के लिए अलग से अफसर रखे जाते थे, हरम के अफसरों को नज़ीर-ए-मशकुयाह और ख्वाजासरा कहा जाता था।
मुगल सल्तनत का पावर सेंटर थे किन्नर
17 वीं शताब्दी में, डच व्यापारी फ्रेंचिस्को पेल्सर्ट मुगल दरबार में पहुंचा तो उसकी आंखें फटी रह गईं। इसका कारण यह था कि मुगल सल्तनत में किन्नरों की बादशाह के बाद सबसे ज्यादा चलती थी। उनके पास ऐशो-आराम की वो सभी सुविधाएं दी जाती थीं, वैसी बादशाह के खासमखास वजीरों को भी ऐसी सुविधाएं नहीं मिलती थीं।
हरम के रखवाले किन्नरों की तूती बोलती थी
अकबर काल में किन्नरों को बहुत ज्यादा चलती थी। बादशाह अकबर की आत्मकथा, "अकबरनामा" में एक किन्नर नियामत का भी उल्लेख है जिसने एक बार बादशाह अकबर सौतेले भाई अधम खान को हरम में जाने से रोका दिया था।
इतिमाद खान, अकबर का सबसे शक्तिशाली अफसर मे से, एक प्रसिद्ध किन्नर था। मुगल सल्तनत की आर्थिक व्यवस्था को संभलने की जिम्मेदारी इतिमाद खान पास थी। इतिमाद दरबार के कामकाज में भी दखल देता था। बादशाह का एक करीबी किन्नरों मे जासूसी करने वाला एक किन्नर ख्वाजा तालिब भी शामिल था।
बच्चों के साथ होती थी हैवानियत
मुगल हरम में दुनिया की सबसे बुरी बातें होती थीं। अकबर के शासनकाल मे हरम को संस्थागत दर्जा दिया और किन्नरों को सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी दी। मुगल सल्तनत में किन्नरों की बहुत मांग थी, क्योंकि लोग अपने युवा बच्चों के निजी भाग को काटकर उन्हें किन्नर बना देते थे और उंची कीमत देकर उन्हें मुगल सल्तनत में नौकरी में भेजते थे।
जहांगीर ने लगा दी थी रोक
हालांकि बाद में जब अकबर का बेटा जहांगीर गद्दी पर बैठा तो उसे हरम की रखवाली के नाम पर बच्चों को जबरन किन्नर बनाना पसंद नहीं आया और उसने आदेश जारी करते हुए कृतिम तौर पर किन्नर बनाने की प्रक्रिया पर पूरी तरह रोक लगा दी थी।
