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इस जनजाति के लोग अनोखे तरीके से करते है मेहमानों का स्वागत, खुश करने के लिए मेहमानों के कमरे में भेज देते है अपनी पत्नी

"अतिथि देवो भव" यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसका अर्थ होता है कि मेहमान को भगवान की तरह पूजा जाता है।
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"अतिथि देवो भव" यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसका अर्थ होता है कि मेहमान को भगवान की तरह पूजा जाता है। लेकिन दुनिया में ऐसी भी जगहें हैं जहाँ मेहमाननवाजी के अनोखे और अनोखी रिवाज हैं जैसे कि नामीबिया की हिंबा जनजाति। यहाँ के लोग अपने मेहमानों को विशेष सम्मान देते हैं जिसमें एक बेहद ही अनोखी परंपरा शामिल है।

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हिंबा जनजाति की विशेष मेहमाननवाजी

नामीबिया के कुनैन प्रांत में बसी हिंबा जनजाति अपनी अनोखी मेहमाननवाजी के लिए जानी जाती है। यहां के लोग मेहमानों का स्वागत बड़े ही आदर और सम्मान के साथ करते हैं। इसका एक उदाहरण है कि वे अपने घर आए मेहमानों को अपनी पत्नियों के साथ सोने और उनके साथ संबंध बनाने की अनुमति देते हैं। इस दौरान पति या तो अन्य कमरे में या घर के बाहर सोता है।

सामाजिक संरचना और नियम

हिंबा जनजाति में पुरुषों को कई महिलाओं के साथ संबंध बनाने की छूट होती है और महिलाएं भी अपनी मर्जी से दूसरे पुरुषों के साथ संबंध बना सकती हैं। इस प्रथा का मूल उद्देश्य सामाजिक संबंधों को मजबूत करना और अतिथियों के प्रति अपना प्रेम प्यार दिखाना है।

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जल का संकट और हिंबा जनजाति की जीवनशैली

नामीबिया दुनिया के सबसे सूखे क्षेत्रों में से एक है, जिसके चलते हिंबा जनजाति के रीति-रिवाजों में भी पानी का कम इस्तेमाल होता है। विवाह के दिन को छोड़कर हिंबा जनजाति की लड़कियां नहीं नहातीं हैं। इसके बजाय वे एक विशेष प्रकार का लेप इस्तेमाल करती हैं जो खनिज धूल और तेलों से बना होता है। यह लेप न सिर्फ उन्हें धूप से बचाता है बल्कि कीट-पतंगों से भी रक्षा करता है।

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अनोखी सामाजिक संस्कृति 

हिंबा जनजाति की ये प्रथाएँ भले ही बाहरी दुनिया के लिए अजीब लगें लेकिन यह उनकी सांस्कृतिक पहचान और अस्तित्व को मजबूत करती हैं। इन परंपराओं का संरक्षण न केवल उनके समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह विश्व सांस्कृतिक विरासत के अनोखे अंग के रूप में भी महत्व रखता है।