भारत के इन 2 पदों पर बैठे व्यक्ति को पुलिस नही कर सकती अरेस्ट, जाने क्या कहता है भारत का कानून
भारतीय राजनीति में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के रूप में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गुरुवार की रात गिरफ्तार किया गया। यह पहली बार है जब किसी सक्रिय मुख्यमंत्री को उनके कार्यकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया है जो भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है।
इस प्रकरण से यह भी स्पष्ट होता है कि भारतीय न्यायिक प्रणाली में हर व्यक्ति के लिए कानून समान है और कोई भी चाहे वह कितना भी उच्च पद पर क्यों न हो कानून की नजर में बराबर है। इस घटना ने न केवल भारतीय राजनीति में बल्कि आम जनमानस में भी यह संदेश प्रखरता से पहुंचाया है कि न्याय के समक्ष सभी समान हैं।
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भारतीय संविधान के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल की सुरक्षा
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार देश के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों को उनके कार्यकाल के दौरान गिरफ्तारी और किसी भी आपराधिक मुकदमे से सुरक्षा प्रदान की गई है। यह प्रावधान उन्हें अपने कर्तव्यों को निष्पक्ष रूप से निभाने की सुरक्षा देता है और सुनिश्चित करता है कि उनके खिलाफ कोई भी आपराधिक कार्यवाही उनके कार्यकाल के दौरान नहीं हो सकती।
विशेष प्रावधान और अपवाद
हालांकि मुख्यमंत्री और अन्य राजनीतिक पदाधिकारियों के लिए ऐसी कोई विशेष छूट नहीं है जिसके चलते अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी संभव हो पाई। यह घटना न केवल दिल्ली की राजनीति में एक बड़ी खबर है बल्कि यह अन्य राजनीतिक पदाधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी का कार्य करती है कि कानून के सामने कोई भी व्यक्ति अछूता नहीं है।
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संवैधानिक सुरक्षा का उद्देश्य और महत्व
अनुच्छेद 361 का मुख्य उद्देश्य देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को उनके कर्तव्यों की पूर्ति में अनावश्यक बाधाओं से मुक्त रखना है। इस प्रावधान के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों को उनके पद पर रहते हुए किसी भी आपराधिक मामले में गिरफ्तारी या मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ता जिससे वे अपनी ऊर्जा और समय देश और राज्य की सेवा में लगा सकें।