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रामानन्द सागर ने रामायण में निभाया था ये ख़ास किरदार, रामानन्द जी को नही पहचान पाए लोग

ध्यान दें कि रामायण को ऐतिहासिक बनाने वाले रामानंद सागर अब नहीं रहे, लेकिन रामायण के रूप में उन्होंने लोगों को जो अनमोल उपहार दिया, वह हमेशा के लिए अमर हो गए।
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ध्यान दें कि रामायण को ऐतिहासिक बनाने वाले रामानंद सागर अब नहीं रहे, लेकिन रामायण के रूप में उन्होंने लोगों को जो अनमोल उपहार दिया, वह हमेशा के लिए अमर हो गए। वैसे, बहुत कम लोग जानते हैं कि रामायण में रामानंद सागर भी थे। वास्तव में, उनका भी इस शो में काफी महत्वपूर्ण योगदान था। जो हम आपको बताना चाहते हैं। अब इसमें कोई शक नहीं कि रामानंद सागर का नाम हर बार टीवी पर रामायण पर आता है।

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ध्यान दें कि रामायण को ऐतिहासिक बनाने वाले रामानंद सागर अब नहीं रहे, लेकिन रामायण के रूप में उन्होंने लोगों को जो अनमोल उपहार दिया, वह हमेशा के लिए अमर हो गए। वैसे, बहुत कम लोग जानते हैं कि रामायण में रामानंद सागर भी थे। वास्तव में, उनका भी इस शो में काफी महत्वपूर्ण योगदान था। जो हम आपको बताना चाहते हैं। अब इसमें कोई शक नहीं कि रामानंद सागर का नाम हर बार टीवी पर रामायण पर आता है।

रामायण के इस सीन में दिखे थे रामानंद सागर 

रामानंद सागर जी का स्वभाव भी बताया जाता है कि वह बहुत धार्मिक थे और राम के बहुत बड़े भक्त थे। यही कारण है कि रामानंद सागर को परदे पर श्रीराम का गुणगान करने का अवसर मिला तो उन्होंने इसे बर्बाद नहीं किया। दरअसल, रामायण में भगवान् शिव से लेकर सभी देवी देवता राम और सीता का गुणगान करते हैं, इसी सीन में रामानंद सागर ने भी देवताओं की तरह दिखाई दी।

रामायण बनाने से पहले इस साधु महाराज से हुई थी मुलाकात

आपकी स्मृति को जीवंत करने के लिए बता दें कि यह सीन चौदह वर्षों का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटा था और श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था। यहाँ दिलचस्प बात यह है कि दूरदर्शन चैनल ने ट्विटर पर इस वीडियो को पोस्ट किया है, जिसमें आप रामानंद सागर का अभिनय देख सकते हैं। रामानंद सागर ने रामायण बनाने के बारे में सोचा भी नहीं था, लेकिन उन्होंने इसके हिट होने का विचार कर लिया था। रामानंद सागर और उनके बेटे प्रेम ने उत्तराखंड में एक साधु महाराज से एक बार मुलाकात की थी।

रामानंद सागर का नाम सुन कर बदल गया साधु महाराज का स्वभाव

रामानंद सागर के बेटे प्रेम ने एक इंटरव्यू में इस कहानी का जिक्र किया। उनका कहना था कि एक बार वह और उनके पिता उत्तराखंड में फिल्म कोहिनूर की शूटिंग करने गए थे और वहाँ एक साधु महाराज से मिले थे। बाद में प्रेम सागर ने बताया कि जहां वे और उनकी टीम गए हुए थे, वहाँ दूर तक रुकने की जगह नहीं थी। ऐसे में, जब उन्हें एक साधु का आश्रम दिखाया गया, उन्होंने अपने अस्सिटेंट को भेजकर उसमें रुकने की अनुमति मांगी। बाद में प्रेम सागर ने बताया कि साधु महाराज पहले नाराज थे, लेकिन जब उन्होंने रामानंद सागर का नाम सुना, उनका स्वभाव ही बदल गया. बाद में उन्होंने पता चला कि वह सिद्ध महावतार बाबाजी थे।

राम नाम के साधु बाबा ने रामायण बनाने की दी थी सलाह 

यह भी बताया जाना चाहिए कि साधु महाराज ने रामानंद सागर जी से पूछा था कि क्या उन्हें कोई दैवी काम मिला है या नहीं। रामानंद सागर बद्रीनाथ उन बाबाजी से मिलने के लिए गए थे, लेकिन एक साधु ने उन्हें फ़िल्में छोड़कर टीवी पर रामायण बनाने की सलाह दी। अब आप सब देख सकते हैं कि रामानंद सागर ने उस सलाह को मानकर कितने बखूबी तरीके से रामायण बनाया था। रामानंद सागर ने रामायण में भी अभिनय किया था, जो बहुत कम लोग जानते हैं। इसलिए आप यहाँ उनके अभिनय को देख सकते हैं।

रामानंद सागर जी का स्वभाव भी बताया जाता है कि वह बहुत धार्मिक थे और राम के बहुत बड़े भक्त थे। यही कारण है कि रामानंद सागर को परदे पर श्रीराम का गुणगान करने का अवसर मिला तो उन्होंने इसे बर्बाद नहीं किया। दरअसल, रामायण में भगवान् शिव से लेकर सभी देवी देवता राम और सीता का गुणगान करते हैं, इसी सीन में रामानंद सागर ने भी देवताओं की तरह दिखाई दी।

रामायण बनाने से पहले इस साधु महाराज से हुई थी मुलाकात

आपकी स्मृति को जीवंत करने के लिए बता दें कि यह सीन चौदह वर्षों का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटा था और श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था। यहाँ दिलचस्प बात यह है कि दूरदर्शन चैनल ने ट्विटर पर इस वीडियो को पोस्ट किया है, जिसमें आप रामानंद सागर का अभिनय देख सकते हैं। रामानंद सागर ने रामायण बनाने के बारे में सोचा भी नहीं था, लेकिन उन्होंने इसके हिट होने का विचार कर लिया था। रामानंद सागर और उनके बेटे प्रेम ने उत्तराखंड में एक साधु महाराज से एक बार मुलाकात की थी।

रामानंद सागर का नाम सुन कर बदल गया साधु महाराज का स्वभाव

रामानंद सागर के बेटे प्रेम ने एक इंटरव्यू में इस कहानी का जिक्र किया। उनका कहना था कि एक बार वह और उनके पिता उत्तराखंड में फिल्म कोहिनूर की शूटिंग करने गए थे और वहाँ एक साधु महाराज से मिले थे। बाद में प्रेम सागर ने बताया कि जहां वे और उनकी टीम गए हुए थे, वहाँ दूर तक रुकने की जगह नहीं थी। ऐसे में, जब उन्हें एक साधु का आश्रम दिखाया गया, उन्होंने अपने अस्सिटेंट को भेजकर उसमें रुकने की अनुमति मांगी। बाद में प्रेम सागर ने बताया कि साधु महाराज पहले नाराज थे, लेकिन जब उन्होंने रामानंद सागर का नाम सुना, उनका स्वभाव ही बदल गया. बाद में उन्होंने पता चला कि वह सिद्ध महावतार बाबाजी थे।

राम नाम के साधु बाबा ने रामायण बनाने की दी थी सलाह 

यह भी बताया जाना चाहिए कि साधु महाराज ने रामानंद सागर जी से पूछा था कि क्या उन्हें कोई दैवी काम मिला है या नहीं। रामानंद सागर बद्रीनाथ उन बाबाजी से मिलने के लिए गए थे, लेकिन एक साधु ने उन्हें फ़िल्में छोड़कर टीवी पर रामायण बनाने की सलाह दी। अब आप सब देख सकते हैं कि रामानंद सागर ने उस सलाह को मानकर कितने बखूबी तरीके से रामायण बनाया था। रामानंद सागर ने रामायण में भी अभिनय किया था, जो बहुत कम लोग जानते हैं। इसलिए आप यहाँ उनके अभिनय को देख सकते हैं।