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कश्मीर के लाल सोने की चमक के आगे फीकी पड़ी चांदी, जाने क्या है रेट और कितनी होती है कमाई

अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा, कश्मीर केसर से भी जाना जाता है। भारत दुनिया में केसर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। जम्मू-कश्मीर में केवल केसर का उत्पादन होता है।
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kashmiri kesar ki kheti
   

अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा, कश्मीर केसर से भी जाना जाता है। भारत दुनिया में केसर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। जम्मू-कश्मीर में केवल केसर का उत्पादन होता है। साथ ही, जीआई टैगिंग के बाद केसर की कीमत में काफी वृद्धि हुई है, इसलिए इस बार केसर के किसान खुश हैं।

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केसर भी चांदी से कम नहीं है। जहां पहले एक लाख से दो लाख रुपये प्रतिकिलो केसर की कीमत होती थी वहीं, इस बार यह 3 लाख से अधिक आंकड़े पार कर गया है। 

सोने से कम नहीं है केसर

केसर की कीमतों को देखते हुए, कहना कि इसे धरती पर उगने वाला सोना कहना व्यर्थ नहीं होगा। 10 ग्राम केसर का पैकेट फिलहाल 3,250 रुपये में उपलब्ध है। यही कारण है कि चांदी की कीमत केसर से कम है। किसानों को इस इजाफे से काफी लाभ मिल रहा है।

रिपोर्टों के अनुसार, कश्मीर घाटी में हर साल करीब 18 लाख टन केसर बनाया जाता है। केसर की जीआई टैगिंग से दुनिया भर में इसकी मांग बढ़ी है। इससे भी केसर की कीमतें बढ़ी हैं। केसर की बड़ी मांग यूरोप, कनाडा और अमेरिका में है। केसर ठंडे देशों में लोकप्रिय है। 

कैसे होती है खेती

यह लाल सोना भी कहलाता है क्योंकि केसर उतना महंगा है। सोने की तरह, केसर भी तोले में बेचा जाता है। कश्मीर के पंपोर में अधिकतर केसर की खेती की जाती है। श्रीनगर और बडगाम में भी केसर का उत्पादन होता है। इसके लिए कश्मीर की लाल मिट्टी काफी उपयुक्त है।

साथ ही, ठंडा मौसम केसर की खेती के लिए बेहतर है। केसर की खेती कंद से की जाती है। 6 से 7 सेंटीमीटर की गहराई में कंद बोया जाता है। कंद लगाने के पंद्रह दिन बाद हल्की सिंचाई की जाती है। यह फसल चार महीने तक चलती है।

एक हेक्टेयर में दो किलो सूखे फूल मिल सकते हैं। अक्टूबर में फूल निकलने लगते हैं। एक बार रोपने के बाद इससे कई साल तक फसल मिलती रहती है। पुंकेसर लगभग 150 केसर के फूलों से निकालने पर एक ग्राम केसर मिलता है। इसमें बहुत कम उत्पादन होता है।