सरकार ने इस फसल की बिजाई करने पर लगाई रोक, जाने क्या है पूरा मामला
पंजाब सरकार राज्य में उत्कृष्ट कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में कहा कि राज्य सरकार ने पूसा-44 किस्म की धान की बुवाई पर अगले खरीफ सत्र से पानी की कमी करने का निर्णय लिया है। राज्य में फॉर्मल धान खरीद शुरू करने के लिए किसानों से पराली जलाने की प्रथा को रोकने का भी अनुरोध किया गया है।
उन्हें खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के विभाग को एक अक्टूबर से शुरू होने वाले मौजूदा खरीफ मार्केटिंग सत्र के दौरान खरीद की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
इस फसल की खेती बंद
किसानों से बातचीत करते समय, मान लें कि हम प्रत्येक किसान का दाना खरीदने के लिए प्रतिबंद्ध हैं। CM ने धान की पूसा 44 किस्त की फसल की खेती बंद करने का आग्रह किया है क्योंकि इसके पकने में बहुत समय लगता है। इसके साथ में अधिक फसल भी होती है।
उनका कहना था कि इस सत्र में किसानों को पूसा-44 किस्म की खेती नहीं करने की सलाह दी गई थी। लेकिन बहुत से उत्पादक इसे बो रहे हैं। वहीं, अगले सत्र में पूसा-44 प्रकार पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं
मुख्यमंत्री ने बताया कि PR-126 किस्म को पकने में 152 दिन लगते हैं, जबकि PR-126 किस्म को केवल 92 दिन लगते हैं। पूसा किस्म को बाकी किस्मों से अधिक पानी चाहिए, उन्होंने कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि एक या दो नई किस्मों को फसल की बुवाई के लिए विकसित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने किसानों से पराली की प्रथा को समाप्त करने की अपील करते हुए कहा कि इन सीटू और एक्स सीटू पराली को नियंत्रित करने के लिए किसानों को कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
ईधन के रूप में उपयोग करना जरुरी
मुख्यमंत्री ने फिर कहा कि राज्य सरकार ने पहले ईंट भट्टों को पराली का उपयोग करना अनिवार्य कर दिया है। उनका कहना था कि बहुत सी कंपनियां किसानों से पराली जमा कर रही हैं। सीएम आगे कहते हैं कि सरकार ने डीएपी को गेंहू की बुवाई के लिए उठाया है। तीन लाख टन पूर्ति हुई है।