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अच्‍छा, सुखद और सफलता भरा जीवन जीना चाहते हों तो आचार्य चाणक्य की नीतियों को जरूर अपनाना चाहिए। क्‍योंकि उनकी बातें सही दिशा में जीवन जीना सिखाती हैं।
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life of such people is like an animal
   

अच्‍छा, सुखद और सफलता भरा जीवन जीना चाहते हों तो आचार्य चाणक्य की नीतियों को जरूर अपनाना चाहिए। क्‍योंकि उनकी बातें सही दिशा में जीवन जीना सिखाती हैं। आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि केवल इंसान के रूप में जन्‍म ले लेना काफी नहीं है।

उसके कर्म भी ऐसे होने चाहिए जो इंसानियत के अनुरूप हों। यदि वह ऐसे काम न करे तो उसका जीवन पशुओं की तरह है। आचार्य चाणक्‍य ने ऐसे 5 कामों का जिक्र चाणक्‍य नीति शास्‍त्र में किया है जो हर व्‍यक्ति को करने चाहिए। तभी वह इंसान कहलाने के लायक बनता है। 

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जरूर करें ये 5 काम 

शिक्षा लेना

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि हर व्‍यक्ति को अपने जीवन में विद्या जरूर ग्रहण करनी चाहिए। तभी वह शिक्षित लोगों की तरह अच्‍छा व्‍यवहार और आचरण कर पाता है। अपने और समाज के लिए कुछ पाता है। उसे हमेशा ज्‍यादा से ज्‍यादा विद्या प्राप्त करनी चाहिए। विद्या पाने  का सौभाग्य सिर्फ मनुष्यों के ही पास है, पशुओं के पास नहीं है।

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कर्म करना

भगवान ने कर्म करने का सौभाग्‍य भी केवल इंसानों को ही दिया है। अपने कर्मों से वह अपना ये जीवन भी बेहतर बना सकता है और अगला जन्‍म भी सुधार सकता है। इसलिए उसे हमेशा अच्‍छे कर्म करने चाहिए। 

समाज के लिए काम

कोई भी व्‍यक्ति बिना समाज के ना तो जी सकता है और ना ही तरक्‍की कर सकता है। वह धन भी समाज के जरिए ही कमाता है। रिश्‍ते बनाता है, पहचान बनाता है। लेकिन सबसे ज्‍यादा जरूरी है कि वह अपने और अपने परिवार के अलावा समाज की भलाई के लिए भी कुछ काम करे। यदि वह ऐसा न करे तो उसका जीवन पशु के समान है। 

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दान

दान करने से मतलब है कि अपने पास जो है उसे जरूरतमंदों के साथ बांटना। व्‍यक्ति कर्म करके पैसा कमाता है। अपने और परिवार के लिए भोजन, सुविधाएं जुटाता है लेकिन वह उस पैसे में से कुछ हिस्‍सा दान न करे तो उसके कर्म उसे पशु की तरह बनाते हैं।  

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संवेदनशीलता

यदि व्‍यक्ति में संवेदनशीलता नहीं है। वह किसी के दुख में दुखी और सुख में खुश नहीं हो सकता तो उसका जीवन पशु के समान है। भगवान ने सोचने-समझने, भावनाएं व्‍यक्‍त करने की खूबी मनुष्‍य को ही दी है और उसे सकारात्‍मक तरीके से इनका उपयोग करना चाहिए।