भैंस की ये 4 दुधारू नस्लें जिनको पालने वालों पर होती है छप्परफाड पैसों की बरसात, कम खर्चे के साथ दूध बेचकर कर देगी मालामाल
हमारे देश में खेती के साथ-साथ पशुपालन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यहां किसान खेती के साथ पशुपालन करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पशुपालन के लिए नई-नई नस्लों की गाय व भैंस के पालन पर जोर दिया जा रहा है।
गाय व भैंस की कई ऐसी किस्में हैं जो अधिक दूध देती हैं। डेयरी उद्योग के लिए तो ये नस्लें काफी लाभकारी साबित हो रही हैं। गाय की अपेक्षा भैंस के दूध को ज्यादा पसंद किया जाता है। इसके पीछे कारण ये है कि भैंस का दूध गाय के दूध की अपेक्षा अधिक गाढ़ा होता है।
इसमें वसा की मात्रा भी ज्यादा होती है। हालांकि भैंस के दूध से ज्यादा गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए अधिक गुणकारी होता है। खैर यहां हम बात कर रहे हैं भैंस की ऐसी उन्नत नस्लों के बारे में जिनसे अधिक दूध प्राप्त किया जा सकता है।
बता दें कि भैंस की कई ऐसी उन्नत नस्ले हैं जिनसे काफी अच्छा दुग्धोत्पादन प्राप्त करके बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है। आज हम अपने इस आर्टिकल के द्वारा आपको को भैंस की चुनिंदा 4 नस्लों की जानकारी दे रहे हैं जो अधिक दूध देने के लिए देशभर में जानी जाती है, तो आइये जानते हैं भैंस की इन टॉप 4 नस्लों के बारे में।
मुर्रा नस्ल की भैस
आपको बता दे की मुर्राह नस्ल की भैस का पालन सबसे ज्यादा पंजाब में होता है लेकिन हाल के समय में ये दूसरे प्रांतों के साथ विदेशों में भी पाली जा रही है। जिनमें से इटली, बल्गेरिया, मिस्र में बड़े पैमाने पर पाली जाती है।
वहीं हरियाणा में इसे काला सोना कहा जाता हैै। आगे पशु चिकित्सक बताते हैं कि दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल है। इसके दूध में 7% फैट पाया जाता है। मुर्रा भैंस भारत में सबसे अधिक पाली जाती है।
यह भैंस दूध उत्पादन के मामले में भारत में नंबर एक पर आती है। यह भैंस एक ब्यात में 2000 से 4000 लीटर तक दूध देती है। इससे अधिक उत्पादन के लिए इसकी अच्छी खुराक बेहद जरुरी होता है।
जाफराबादी नस्ल की भैस
दुधारू भैंस में एक नाम जाफराबादी का है। यह ज्यादातर गुजरात के भावनगर जिले में पाई जाती है। हालांकि इसका मूल स्थान गुजरात का जाफराबाद है, इसलिए भैंस का नाम जाफराबादी है।
प्रति दिन दूध का हिसाब 30 लीटर तक जा सकता है। इन भैसों की कीमत डेढ़ लाख रुपये के आसपास होती है। जाफराबादी भैंस का वजन काफी भारी होता है और मुंह छोटा होता है।
सींग घुमावदार होते हैं डेयरी व्यवसाय के जफराबादी भैंस देशभर में अधिक पसंद की जाती है। इसका मूल स्थान गुजरात का जाफराबाद है। यह नस्ल एक ब्यात में 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है।
नीली रावी नस्ल की भैस
जानकारों के अनुसार इस नस्ल की भैस भारत देश में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी पाई जाती है नीली रावी नस्ल भैंस का पालन मुर्रा भैंस के बाद सबसे अधिक किया जाती है। नीली रावी पंजाब की घरेलू नस्ल की भैंस है।
यह मुख्य रूप से पाकिस्तान और भारत में अधिक पाई जाती है। इसके अलावा बांग्लादेश, चीन, फिलीपींस, श्रीलंका, ब्राज़ील,वेनेजुएला देश के किसान भी इसका पालन करते हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से डेयरी उद्योग के लिए किया जाता है।
वहीं एक साल में ये करीब लगभग 2000 किग्रा दूध दे सकती हैं। इसका रिकॉर्ड दूध उत्पादन 378 दिनों में 6535 किलोग्राम आमतौर पर इन भैंसों के माथे पर उजले रंग की आकृति बनी होती है। फोटो में इस नस्ल को दिखाया गया है।
मेहसाणा नस्ल की भैस
ये बात आप भी जानते ही है की हमारे देश में पशुपालन सदियों से चला आ रहा है। जिसमें डेयरी व्यवसाय सबसे लोकप्रिय है। डेयरी में गाय और भैंस पालन करना पहला विकल्प माना जाता है। आजकल लोग डेयरी से जुड़े काम करके लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अगर आप गांव या शहर कहीं भी रहते हैं तो आप भैंस पालन करके भी अच्छे पैसे कमा सकते हैं। इसके लिए अच्छी नस्ल की भैंस का चयन करना सबसे जरूरी है। इनमें मेहसाणा भैंस एक अच्छी नस्ल है। मेहसाना भैंस गुजरात के मेहसाणा जिले पाई जाती है।
यह भैंस दूध उत्पादन के लिए काफी लोकप्रिय है। इसके पालन गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान में खूब की जाती है। यह नस्ल एक ब्यात में 1200 से 2000 लीटर तक दूध देती है।