शादी के बाद भी पति से संतुष्ट नही हो पाती है ऐसी औरतें, मौका मिलने पर करना चाहती है ये काम
शादी के बाद पत्नी की पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उसका पति होता है। इस संबंध को सहज, सरल और मधुर बनाए रखने के लिए समझदारी और सूझबूझ से काम लेना जरूरी होता है। महान नीतिकार आचार्य चाणक्य ने भी अपनी नीतियों में मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है जिसमें व्यवसाय, दांपत्य जीवन, धन और स्वास्थ्य से जुड़े अमूल्य निर्देश शामिल हैं। इन्हीं में से कुछ नीतियाँ पत्नी द्वारा पति के प्रति बरती जाने वाली संवेदनशीलता और समर्पण पर भी जोर देती हैं।
बातचीत का महत्व
चाणक्य नीति के अनुसार महिलाओं की प्रकृति बातचीत की ओर अधिक झुकाव रखने वाली होती है। वे अपने पति से उम्मीद करती हैं कि वह भी उनके साथ संवाद में सक्रिय रहें। यदि पति बात में सक्रिय रहते हैं तो पत्नी संतुष्ट और खुश रहती है लेकिन यदि पति कम बोलने वाले हों तो पत्नी में असंतोष की भावना उत्पन्न हो सकती है। यह असंतोष कभी-कभी रिश्ते में दरार का कारण भी बन सकता है।
गुस्से वाली
कुछ महिलाएं स्वभाव से अधिक गुस्सैल होती हैं। ऐसी महिलाएं अक्सर छोटी-छोटी बातों पर भी अपने पति से अनबन कर बैठती हैं, जिससे दांपत्य जीवन में तनाव बढ़ता है। चाणक्य के अनुसार ऐसे में पति को चाहिए कि वह शांत और समझदारी से उस स्थिति का सामना करें। गुस्से का सामना करते समय पति को अपनी पत्नी के मूड और भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए।
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ध्यान रखने वाली
पत्नी की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने पति का ध्यान रखे। शादी के बाद पति-पत्नी का रिश्ता परमेश्वर के समान पवित्र होता है। जब पत्नी अपनी और अपने फायदे की ही सोचती है, तो उसके पति उससे संतुष्ट नहीं हो पाते हैं। इससे उनके बीच असंतोष और विश्वास की कमी उत्पन्न हो सकती है।
विश्वास
आचार्य चाणक्य की शिक्षाओं के अनुसार शादी के बाद पति-पत्नी के बीच विश्वास होना अत्यंत आवश्यक है। यदि एक बार विश्वास टूट जाए तो उसे पुनः स्थापित करना मुश्किल होता है। इसलिए दोनों को चाहिए कि वे अपने रिश्ते में विश्वास को मजबूती से पकड़े रखें और आपसी समझदारी से किसी भी समस्या का समाधान करें।