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ये मुगल बादशाह शहजादियों से बिना कपड़े करवाता था ये काम, मजबूरी में बादशाह के आगे दिन रात करती ये काम

बहुत कोशिश के बाद भी गुलाम कादिर मुगलों के खजाने तक नहीं पहुंच पाया।
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बहुत कोशिश के बाद भी गुलाम कादिर मुगलों के खजाने तक नहीं पहुंच पाया।

वह खजाने का राज जानने के लिए बादशाह शाह आलम द्वितीय को बार-बार अपमानित करता था। यहां तक कि गुलाम कादिर भी मुगल शहजादियों से नहीं छूट गया। भरे दरबार में उनका अपमान हुआ।

उनकी इज्जत को तार-तार किया गया और वे निर्वस्त्र नचाए गए। 10 अगस्त 1788 को, गुलाम कादिर ने आखिरकार बादशाह शाह आलम द्वितीय को मार डाला क्योंकि वह इससे भी खुश नहीं था।

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फिर खड़ा होकर बादशाह शाह आलम द्वितीय की छाती पर पैर रखकर दरबारी चित्रकार से चित्र बनाया।  शाह आलम ने गुमाल कादिर की क्रूरता से सहानुभूति व्यक्त की और काबुल से भी गुमाल कादिर के खिलाफ सहायता की पेशकश की।

बाद में महादाजी शिंदे, एक मराठा सरदार, दिल्ली चला गया। बाद में ग़ुलाम क़ादिर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगा। जो मथुरा में गिरफ्तार किया गया था। गुलाब कादिर को एक पिंजड़े में डालकर कान, नाक, होंठ और पैर एक-एक कर काटे गए। साथ ही, लाल किले भेजे गए।

सबसे आखिरी में, गुलाम कादिर की आंखे वाली एक बोतल लाल किले तक पहुंचाई गई। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि ग़ुलाम क़ादिर का बचपन ऐसा ही था, इसलिए वह इतना वहशी हुआ।

उसके पिता ने कई बार दिल्ली के खिलाफ विद्रोह किया था। जो शाह आलम ने हराकर आठ से दस वर्ष के गुलाम कादिर को जेल में डाल दिया।

बादशाह ने गुलाम कादिर को बधिया करवाया क्योंकि वह बहुत सुंदर था। उसे नाचने के लिए औरतों के कपड़े पहना जाता है। बादशाह को गुलाम कादिर को अपना खास बेटा भी कहते थे, लेकिन वह उसकी जिस्मानी भूख को शांत करने का साधन था।