भारत के इस गांव में जान दांव पर लगाकर पानी भरती है औरतें, कुएँ के अंदर का नजारा देख निकल जाएगा आपका मूत
धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। पानी खत्म होता जा रहा है। ऐसे में हर बार भूवैज्ञानिक इस बात की चेतावनी देते रहते हैं कि भविष्य में पानी धरती से खत्म होने के संभावना पक्की है। आज भी जिस दौर में डाटा से ज्यादा लोगों के लिए आटा जरूरी है, जिस दौर में शहर में बैठे आपको-हमें लगता है सब चिल्ल है।
इंस्टा रील्स देखकर असली जिंदगी से दूर भागने वाले लोगों को हो सकता है कि यह खबर पढ़कर झटका लगे। आज भी साथियों, दूर दराज कई गांवों में पानी तक नहीं है। महिलाएं दूर-दूर पानी लेने के लिए जाती हैं। महाराष्ट्र से एक दिल तोड़ने वाला वीडियो सामने आया है।
यह वीडियो भविष्य की एक छोटी सी झलक साबित हो सकता है। आने वाले कल में ये हमारे हाल हो सकते हैं। इसमें गांव की महिलाएं अपनी जान जोखिम में डालकर पानी लेने के लिए कुएं के किनारे पर खड़ी हैं।
कुएं में गिरकर हो सकती है किसी की भी मौत
जी हां, इस वीडियो को एएनआई ने शेयर किया है। यह वीडियो महाराष्ट्र के खाडियल गांव का है, जो मेलघाट में है। यहां एक-एक बाल्टी पानी के लिए महिलाएं अपनी जान जोखिम में डालती है। गांववालों ने बताया कि इस गांव में सिर्फ दो ही कुएं हैं।
हालांकि दोनों की सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। 1500 लोगों की आबादी वाले गांव के लोग इन्हीं कुओं पर निर्भर करते हैं। बस 2-3 पानी के टैंकर ही गांव में आते हैं, उन्हीं से लोगों को गुजारा करना होता है।
इतना आसान नहीं है पानी लाना
गांववालों का कहना है कि टैंकर से जो पानी आता है, उन्हें कुओं में डाल दिया जाता है। इसके बाद लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पानी को पहले लाते हैं। सबसे बड़ा टास्क तो पानी को वहां इतनी भीड़ के बीच में से लाना है। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्हें इसके बाद पानी को साफ करना होता है। उसमें से मिट्टी निकलनी पड़ती है, फिर कहीं जाकर वो पानी पीने लायक बन पाता है।
बढ़ रही हैं कई बीमारियां
पानी गंदा हो जाने के कारण गांव के लोगों में कई तरह की बीमारियां भी बढ़ रही हैं। ऐसे में अगर कोई बीमार हो जाता है तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए गांव में सड़क तक नहीं है। ट्विटर पर जब लोगों ने इस वीडियो और गांव में पानी की किल्लत से जूझते लोगों को देखा तो उन्हें गुस्सा आ गया।
कुछ ने सरकारों को कोसा, कुछ ने कहा कि इसके पीछे अत्याधिक विकास का हाथ है, तो कुछ ने कहा कि विकास बस सीमित होकर रह गया है। यूजर्स ने यह भी लिखा कि 21वीं सदी में भी पानी ना मिलना दिखता है कि हम कहां खड़े हैं।