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बेटे की फोटो खींचते वक्त आंखों में दिखी सफेद चमक, जब डॉक्टर के पास पहुंची तो महिला के उड़ गए होश

कहावत है कि "माँ की ममता का कोई मोल नहीं" और यह बात इंग्लैंड के आइल ऑफ वाइट में रहने वाली मेगन ब्रिमसन के लिए सच साबित हुई।
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कहावत है कि "माँ की ममता का कोई मोल नहीं" और यह बात इंग्लैंड के आइल ऑफ वाइट में रहने वाली मेगन ब्रिमसन के लिए सच साबित हुई। 28 वर्षीय मेगन के लिए जीवन में एक मोड़ लेकर आया जब उन्हें पता चला कि उनका पांच वर्षीय बेटा अरलो एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है। धूप में खेलते समय अरलो की आंख में छोटी सफेद चमक उभर आई जिसे देख मेगन तुरंत चिंतित हो उठीं।

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निदान और इलाज की दिशा में पहले कदम

मेगन ने बिना समय गंवाए अरलो को नजदीकी सेंट मैरी अस्पताल ले गईं जहाँ जांच के बाद पता चला कि अरलो की दाहिनी आंख पर एक बड़ा पिंड है। इसके बाद उन्हें लंदन के रॉयल लंदन अस्पताल में रेफर किया गया जहाँ और गहन जांच के बाद अरलो को रेटिनोब्लास्टोमा का ऑपरेशन हुआ जो कि नेत्र का एक दुर्लभ कैंसर है। इस बीमारी का इलाज आसान नहीं था और इसमें अरलो की आंख को निकालने की जरूरत पड़ी जिसके बाद कई चरणों में कीमोथेरेपी भी की गई।

मुश्किल समय में परिवार का साथ

इस कठिन समय में मेगन के पति और उनका परिवार उनके सबसे बड़े सहारे बने। मेगन के अनुसार इस दौरान परिवार ने न केवल उनका मनोबल बढ़ाया बल्कि अरलो की देखभाल में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके बड़े बेटे ने भी अरलो का खास ख्याल रखा। अरलो की स्थिति में सुधार हुआ और अब वह कृत्रिम आंख के साथ स्कूल भी जाने लगा है और उसका जीवन सामान्य रूप से चल रहा है।

जागरूकता और समर्थन की आवश्यकता

रेटिनोब्लास्टोमा जैसी दुर्लभ बीमारियाँ अक्सर अभिभावकों के लिए चुनौतीपूर्ण होती हैं, खासकर जब लक्षण स्पष्ट न हों। इसलिए, मेगन और उनके परिवार की तरह अन्य माता-पिता को भी इस तरह के संकेतों के प्रति सचेत रहना चाहिए। Childhood Eye Cancer Trust और अन्य संस्थाएं इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्य कर रही हैं। अगर किसी बच्चे में ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत नेत्र चिकित्सक का परामर्श लेना चाहिए।