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बिजली मीटर में जानबूझकर क्यों लगाई जाती है ये लाल रंग की बत्ती, हर महीने कितने यूनिट का आता है खर्चा

नगरपालिका ने शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट और प्री-पेड मीटर लगाए हैं। पुराने मीटर से इनके बदलने का उद्देश्य चोरी को कम करना है।
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नगरपालिका ने शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट और प्री-पेड मीटर लगाए हैं। पुराने मीटर से इनके बदलने का उद्देश्य चोरी को कम करना है। लेकिन, क् या आपने कभी देखा है कि इस मीटर में एक लाल लाइट जलती रहती है? शायद ही आपने कभी सोचा होगा कि इस प्रकाश के लिए इतना अधिक खर्च करना होगा? हम आपको बताएंगे अगर आप अभी भी इस बारे में अनजान हैं।

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आपको याद होगा कि पहले घरों में नंबर वाले बिजली मीटर लगे हुए थे। अब ये मीटर, जिनमें एक लाल लाइट लगी है, धीरे-धीरे घरों से बाहर भेजे जाते हैं। ऐसी कोई लाइट पहले नहीं थी। अब बिजली चोरी को कम करने के लिए नई तकनीक के मीटर लगाए जा रहे हैं। जब मीटर ऑन होता है, तो उसमें लगी लाल लाइट दिखाई देती है, जो बताता है कि मीटर चालू है।

इस लाल बत्ती को देखकर आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि एक लाल लाइट आ रही है और आपका मीटर काम कर रहा है। मीटर पर लोड बढ़ते ही यह लाल लाइट तेजी से बंद हो जाती है। यह लाल लाइट कुछ समय बाद जल्दी-बुझती है अगर आपके मीटर पर नॉर्मल लोड है। लेकिन जब आप मोटर या AC चालू करते हैं तो लाल लाइट की गति बढ़ जाती है। इस लाइट को देखकर ही पता चल सकता है कि घर में कोई नॉर्मल या हैवी चीज चल रही है।

क्या लागत है?

24 घंटे तक स्मार्ट मीटर में लगी लाल बत्ती की लागत क्या होती है? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। आपको बता दें कि इस लाइट के जलने से हर महीने 1 से 2 यूनिट खर्च होता है। इस लाइट के ऑन रहने से 10 से 20 रुपये खर्च होते हैं। अब इसका खर्च करोड़ों घरों में लगाया जाएगा. यह कई करोड़ों रुपये बैठेगा। लेकिन इस तरह की बिजली यूनिट की लागत बेवजह होती है।

शाहिद कपूर की फिल्म "बत्ती गुल मीटर चालू" में एक वकील का किरदार निभाया था। इसमें उन्होंने विद्युत कंपनी पर मुकदमा दर्ज किया था। शाहिद कपूर ने इस मामले की सुनवाई के दौरान बताया कि एक घर में लाल बत्ती जलाना महंगा है। लेकिन यदि राज्य के उपभोक् ताओं की संख्या से इस खर्च को मल् टीपल किया जाता है तो यह करोड़ों रुपये का होगा।