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इन 3 नस्लों की गाय पालकर आप भी कर सकते है मोटी कमाई, देसी नस्ल की ये खूबियां जानकर तो आपको भी नही होगा भरोसा

भारत में पशुपालन खेती के बाद सबसे प्रमुख आजीविका का साधन है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। देसी गायों की विभिन्न नस्लें जो अधिक दूध देने की क्षमता रखती हैं उनकी मांग लगातार बढ़ रही है। 
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भारत में पशुपालन खेती के बाद सबसे प्रमुख आजीविका का साधन है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। देसी गायों की विभिन्न नस्लें जो अधिक दूध देने की क्षमता रखती हैं उनकी मांग लगातार बढ़ रही है। इससे न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी सुधार होता है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख देसी नस्लों के बारे में जो उच्च दूध उत्पादन में सहायक होती हैं।

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मेवाती, हल्लीकर और सिरोही गाय

अगर आप गाय पालन में नई संभावनाओं की तलाश में हैं तो मेवाती, हल्लीकर, और सिरोही नस्लें आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती हैं। ये गायें दूध उत्पादन में अग्रणी होने के साथ-साथ स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल भी होती हैं। इनकी खासियतों को विस्तार से समझना पशुपालकों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

मेवाती गाय

मेवाती गायों की खासियत उनका उच्च दूध उत्पादन है। ये गायें प्रतिदिन लगभग 5 से 7 लीटर दूध देती हैं और एक ब्यांत में औसतन 900 से 1000 लीटर तक दूध उत्पन्न कर सकती हैं। इनकी विशेषता यह भी है कि ये स्वभाव से शांत और अनुकूलनशील होती हैं जिससे इनका पालन पोषण आसान हो जाता है।

हल्लीकर गाय

हल्लीकर गाय अपने लंबे सींगों और खास चेहरे के निशान के लिए पहचानी जाती हैं। यह गाय प्रतिदिन 4 से 5 लीटर दूध देती है और इसका पहला ब्यांत औसतन 37 माह की उम्र में होता है। हल्लीकर गाय का दूध खास गुणवत्ता का होता है जिसे डेयरी उत्पादों के लिए विशेष रूप से पसंद किया जाता है।

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सिरोही गाय

सिरोही गाय अपनी भारी मात्रा में दूध उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है। यह गाय प्रतिदिन 10 से 12 लीटर दूध दे सकती है, और एक ब्यांत में 1647 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। इसके दूध में उच्च फैट प्रतिशत होता है जो इसे दूध उत्पादन के लिए और भी मूल्यवान बनाता है।