home page

ट्यूबलेस टायर के बारे में तो खूब सुना होगा पर इसमें क्या होता है ख़ास, जाने नोर्मल ट्यूब टायर और इसमें क्या है अंतर

आप ने बहुत सी गाड़ियों को देखा होगा उसमे एक चीज सेम होती है। वो है इसके टायर किसी भी वाहन के सुरक्षित सफर के लिए उसके टायर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
 | 
tubeless tyre vs tube tyre for car
   

आप ने बहुत सी गाड़ियों को देखा होगा उसमे एक चीज सेम होती है। वो है इसके टायर किसी भी वाहन के सुरक्षित सफर के लिए उसके टायर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि आजकल वाहनों में 2 तरह के टायर आ रहे हैं। ट्यूब वाले टायर या दूसरे ट्यूबलेस टायर।

बहुत से लोगो के दिमाग में यह सवाल जरूर होता है की कोनसा टायर लिया जाए ट्यूब वाले टायर या ट्यूबलेस टायर जैसा ही हम जानते हैं ट्यूब टायरों में अंदर एक रबर का ट्यूब होता है, जिसके अंदर हवा भरी जाती है। पंक्चर होने पर ट्यूब निकालकर सुधार दिया जाता और टायर चलने लगता है।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

वहीं ट्यूबलेस टायर में ट्यूब नहीं होता है। इसमें हवा सीधे टायर में ही भरी जाती है। यह सीधे गाड़ी की रिम से जुड़ा होता है। अब आपको आज दोनों तरह के टायरों के फायदे और नुकसान के बारे में बता रहे हैं। तो आइए जानते है इन दोनों के अंतर बिच क्या अंतर है। 

हवा कम होने पर

सबसे पहले हम बात करेंगे टायरों में हवा कम होने पे ट्यूब टायर में हवा कम होने पर अंदर घर्षण बढ़ जाता है, जिसकी वजह से हीट जनरेट होती है। हीट जनरेट होती है तो टायर गर्म हो जाता है।

इसकी वजह से ट्यूब टायर की लाइफ कम हो जाती है। वहीं ट्यूबलेस टायर में हवा कम होने पर घर्षण नहीं होता है। इसी लाइफ ट्यूब वाले टायर के मुकाबले ज्यादा रहती है। 

बेहतर हैंडलिंग

आपको बता दे की ट्यूबलेस टायर सीधे रिम से जुड़ा हुआ होता है। इसलिए वाहन को स्पीड पर चलाने पर ज्यादा स्टेबिलिटी और बेहतर हैंडलिंग देखने को मिलती है।

वहीं ट्यूब टायरों में प्रेशर ट्यूब में भरा होता है। इसकी वजह से ज्यादा लोड लेकर हाई स्पीड पर चलने से स्टेबिलिटी और हैंडलिंग की दिक्कत रहती है।

टायर से गाड़ी का माइलेज

गाड़ी का माइलेज भी बहुत हद तक टायर पर डिपेंड करता है। ट्यूबलेस टायर हल्के रहते हैं। इसलिए इंजन को टायर घुमाने के लिए कम ताकत लगाने की जरूरत पड़ती है।

इसलिए कह सकते हैं कि ट्यूबलेस टायर वाली गाड़ियों में थोड़ा बेहतर माइलेज मिल जाता है। वहीं ट्यूब टायर मुकाबले में ज्यादा भारी रहते हैं। इसलिए इनमें थोड़ा माइलेज कम हो जाता है।

पंचर होने पर

अब बात करे पंचर होने की तो ट्यूबलेस टायर अगर पंचर हो जाए तो एयर बहुत धीरे-धीरे निकलती है। ऐसे में गाड़ी को सही जगह लेकर जाने का समय मिल जाता है।

गाड़ी को चला भी सकते हैं, क्योंकि ट्यूब खराब होने का डर नहीं रहता है। वहीं ट्यूब टायर अगर पंचर हो जाएं तो तुरंत हवा निकल जाती है। जिससे गाड़ी को चलाया नहीं जा सकता है।

रोलिंग रेजिस्टेंस

अब आगे आपको इनके रोलिंग रेजिस्टेंस के बारे में बताये तो ट्यूब टायर में अगर हवा कम होती है तो अंदर ट्यूब और टायर के बीच घर्षण बढ़ जाता है। घर्षण की वजह से टायर का रोलिंग रेजिस्टेंस भी बढ़ जाता है।

जिसकी वजह से वाहन ज्यादा ऊर्जा की खपत करने लगता है। वहीं ट्यूबलेस टायर में घर्षण नहीं होता है। इसमें रोलिंग रेजिस्टेंस की समस्या नहीं है। टायर का कितना हिस्सा जमीन से टकराता है वह रोलिंग रेजिस्टेंस कहलाता है।