अरे भाई, ये भैंस नही है किसी कुबेर के खजाने से कम, हर रोज देती है 20 लीटर दूध

राजस्थान में पशुपालन न सिर्फ खेती का एक हिस्सा है बल्कि यह अच्छी कमाई का एक प्रमुख जरिया भी बन चुका है.
 

Jafarabadi Buffalo: राजस्थान में पशुपालन न सिर्फ खेती का एक हिस्सा है बल्कि यह अच्छी कमाई का एक प्रमुख जरिया भी बन चुका है. विशेष रूप से अच्छी नस्ल की गाय और भैंस पालने पर जोर दिया जाता है. गिर और काकरेजी नस्ल की गायें और जाफराबादी तथा मेहसानी नस्ल की भैंसें उनके ज्यादा दूध उत्पादन के लिए जानी जाती हैं जो पशुपालकों के लिए लाभदायक साबित होती हैं.

जाफराबादी भैंस

जाफराबादी भैंस (Jaffrabadi buffalo) की विशेषता इसकी ऊंचाई, लंबे सींग और मजबूत शरीर की बनावट में बढ़िया है. इस नस्ल की भैंसें दूध उत्पादन में बढ़िया होती हैं जो एक दिन में 20 से 22 लीटर तक दूध दे सकती हैं. इनकी देखभाल में खास ध्यान देने की जरूरत होती है जैसे कि नियमित रूप से मिनरल्स और कैल्शियम की आपूर्ति करना.

विपुलभाई पंड्या की सफलता की कहानी

विपुलभाई पंड्या तलाजा तालुका के वेलावदर गांव के रहने वाले एक पशुपालक हैं जिन्होंने पिपरला से अपनी जाफराबादी भैंस को खरीदा था. इस भैंस से उन्हें शानदार आय (excellent income from buffalo) होती है जो दूध की बिक्री से प्रतिदिन 1200 से 1500 रुपये तक होती है. विपुलभाई की कहानी अन्य पशुपालकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह बताती है कि अच्छी नस्ल की पशुपालन से कैसे बेहतर आय ली जा सकती है.

खेती और पशुपालन

खेती के साथ-साथ पशुपालन (farming and animal husbandry) राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में आय का मुख्य स्रोत बन चुका है. यह न केवल कृषि कार्यों में सहायता मिलती है बल्कि दूध उत्पादन के माध्यम से स्थिर और नियमित आय भीबढ़िया होती है. इस प्रकार यह राज्य के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है और ग्रामीण आबादी को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता है.