बकरी की ये खास नस्ल नही है किसी गाय से कम, दूध बेचकर ही हो सकते है मालामाल

हरियाणा के किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन में भी भूमिका निभा रहे हैं। विशेषकर छोटे किसानों के लिए बकरी पालन एक आकर्षक और कम लागत वाला ऑप्शन साबित हो रहा है।
 

हरियाणा के किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन में भी भूमिका निभा रहे हैं। विशेषकर छोटे किसानों के लिए बकरी पालन एक आकर्षक और कम लागत वाला ऑप्शन साबित हो रहा है। इस क्षेत्र में बरबरी नस्ल की बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा विशेष अनुदान भी दिया जा रहा है।

नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत अनुदान योजना

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज कुमार अग्रवाल के अनुसार नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत किसानों को 20 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है। इस योजना में किसानों को 50% तक का अनुदान दिया जा रहा है जिससे वे उन्नत नस्ल की बकरी पालन कर सकें और अच्छी आमदनी ले सकें।

बरबरी नस्ल की बकरी की विशेषताएं

बरबरी नस्ल की बकरी विशेष रूप से पंजाब, राजस्थान, आगरा और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में पाली जाती है। यह नस्ल अपनी उत्पादकता के लिए जानी जाती है, जिसमें नर बकरे का वजन 38-40 किलोग्राम और मादा बकरी का वजन 23-25 किलोग्राम होता है। इस नस्ल की बकरी प्रतिदिन 1.5 से 2 लीटर दूध देती है और एक ब्यांत में लगभग 140 किलोग्राम दूध देती है।

बकरी पालन के लिए सरकारी सब्सिडी

केंद्र सरकार द्वारा नस्ल सुधार और पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत विभिन्न स्तरों पर बकरी पालन के लिए सब्सिडी दी जा रही है। किसान 100 से लेकर 500 तक की बकरी पाल सकते हैं, जिस पर उन्हें 50% की सब्सिडी मिलती है। यह स्कीम किसानों को कम लागत में अधिक लाभ उठाने का मौका दे रही है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।