Free Ration Fraud: लाखों रूपये का राशन लिया पर लोगों को नही बांटा तो हरकत में आया विभाग, इन लोगों को किया सस्पेंड

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ते गल्ले की दुकानों में आने वाले राशन के गायब होने और उपभोक्ताओं को न बांटने का मामला सामने आया है। इस मामले में डीएसओ कार्यालय के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।
 

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ते गल्ले की दुकानों में आने वाले राशन के गायब होने और उपभोक्ताओं को न बांटने का मामला सामने आया है। इस मामले में डीएसओ कार्यालय के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। यह मामला एक महीने से भी ज्यादा पुराना है लेकिन अब तक सस्ता गल्ला विक्रेताओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

सरकारी राशन के गायब होने और उपभोक्ताओं को न बांटने पर अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। यह मामले उपभोक्ताओं के विश्वास को हिला देते हैं और सरकारी वितरण प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं।

उपभोक्ताओं की शिकायत से हुआ खुलासा

रम्पुरा क्षेत्र में उपभोक्ताओं ने शिकायत की थी कि अप्रैल का राशन उन्हें नहीं मिला। जांच में पता चला कि सस्ते गल्ले की दुकान में 557 कार्डधारक और 2492 यूनिट के लिए आवंटित राशन गायब था। इस दुकान का संचालन सतीश आर्या कर रहे थे।

शिकायत के बाद क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी रुद्रपुर हेमा बिष्ट और खटीमा के अधिकारी रविन्द्र सिंह धामी ने जांच की। जांच में पुष्टि हुई कि दुकान से राशन गायब था और उपभोक्ताओं को नहीं बांटा गया था। इस पर डीएसओ श्याम आर्या ने दुकान को निलंबित कर दिया और कार्डधारकों को दूसरी दुकान में स्थानांतरित कर दिया।

गंगापुर रोड पर दूसरी दुकान में भी घोटाला

नारायणपुर गोठा तहसील किच्छा में संचालित दूसरी सस्ते गल्ले की दुकान में भी अप्रैल माह का राशन नहीं बांटा गया था। इस दुकान में 304 कार्डधारक और 1344 यूनिट के लिए आवंटित राशन गायब था। यहां भी जांच के बाद दुकान को निलंबित कर दिया गया और कार्डधारकों को दूसरी दुकान में स्थानांतरित कर दिया गया।

एक माह बाद भी केवल निलंबन

मामले को एक महीना हो चुका है लेकिन अब तक की कार्रवाई सिर्फ निलंबन तक ही सीमित है। सरकारी राशन के गायब होने पर अधिकारियों की सुस्ती और विधिक कार्रवाई न होने पर सवाल उठ रहे हैं। सस्ते गल्ले की दुकानों के स्टॉक का सत्यापन और राशन के वितरण पर नजर रखना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। लेकिन इन मामलों में लापरवाही साफ नजर आ रही है।

रिकवरी और विधिक कार्रवाई की कमी

इन मामलों में आरोपियों से रिकवरी और विधिक कार्रवाई की कमी से अधिकारी सवालों के घेरे में हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि सरकारी राशन का गायब होना अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी है। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जिससे जांच पर सुस्ती का संकेत मिलता है।

सरकारी राशन की सुरक्षा पर सवाल

दोनों मामलों में सरकारी राशन न तो उपभोक्ताओं को बांटा गया था और न ही दुकान में मिला। दुकानों को निलंबित करने के बाद जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी गई है। लेकिन आदेश के अनुसार कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। डीएसओ श्याम आर्या का कहना है कि आदेश के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। लेकिन उपभोक्ताओं का भरोसा अब कम होता जा रहा है।