इस जगह महिलाओं से डंडे खाने के लिए दूर-दूर से आते है कुंवारे लड़के, फिर जल्दी हो जाती है शादी

भारत में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो सिंगल हैं। कई लोगों की उम्र 40 पार हो गई है। फिर भी उन्हें अब तक अपना मनपसंद जीवनसाथी नहीं मिला। आजकल लोग जल्दी शादी करने के लिए पंडितों द्वारा बताए गए उपाय और टोटके करते हैं।
 

भारत में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो सिंगल हैं। कई लोगों की उम्र 40 पार हो गई है। फिर भी उन्हें अब तक अपना मनपसंद जीवनसाथी नहीं मिला। आजकल लोग जल्दी शादी करने के लिए पंडितों द्वारा बताए गए उपाय और टोटके करते हैं। जिसका कभी-कभी उल्टा असर भी हो जाता है।

इस झंझट से बचने के लिए हमारे पास एक पक्का इलाज है। अगर आप लड़के हैं और सिंगल भी जल्दी शादी करना चाहते हैं, तो जोधपुर चले जाइए। यहां पर एक ऐसा मेला आयोजित होता है, जहां सिर्फ और सिर्फ महिलाओं का राज होता है। इसका नाम है धींगा गवर मेला। धींगा गवर मेला जोधपुर की एक खास पहचान है।

यह त्‍योहार महिलाओं के वर्चस्‍व और शक्ति का प्रतीक है। यह मेला न सिर्फ सिंगल पुरुषों के लिए एक दिलचस्प मौका है। बल्कि समाज में महिलाओं की अहमियत और सशक्तिकरण का भी संदेश देता है। धींगा गवर मेला की परंपरा और इसका महत्व जोधपुर की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध बनाता है।

महिलाओं का वर्चस्‍व

यह भारत का एकमात्र ऐसा त्‍योहार है। जहां सिर्फ महिलाओं का वर्चस्‍व होता है। यहां महिलाएं रातभर छड़ी लेकर घूमती हैं। जो भी पुरुष उनके सामने आता है उसे छड़ी से पीटती भी हैं। फिर चाहे यह आम लोग हों या फिर पुलिस प्रशासन के लोग कोई भी इनकी मार से बच नहीं पाता।

अच्छी बात यह है कि कोई इस बात का बुरा भी नहीं मानता और न ही उनके इस व्यवहार के लिए उन पर कोई कार्यवाही होती है। क्योंकि यह परंपरा जोधपुर में आयोजित होने वाले इस मेले का ही हिस्सा है, जिसे लोग आज तक निभा रहे हैं।

रंग-बिरंगे रूप

यह मेला दिलचस्प इसलिए भी है। क्योंकि यहां आप महिलाओं को अलग-अलग रूपों में देख सकते हैं। यहां महिलाएं राजा-रानी, भगवान शिव-विष्णु, जट-जटिनी, डॉक्टर, पुलिस और सेठ जैसे बहुत से भेष बनाकर निकलती हैं। महिलाओं के इन रूपों को देखकर महिला सशक्तिकरण का संदेश मिलता है।

छड़ी का जादू

इस मेले की खास बात तो यह है कि जिस अविवाहित पुरुष पर महिला की छड़ी पड़ती है। उसकी जल्द शादी हो जाती है। इसलिए कई पुरुष तो इसी उम्मीद के साथ मेले में पहुंचते हैं और खुशी-खुशी छड़ी खाते हैं।

महिलाओं की धींगा मस्‍ती

यह मेला महिला शक्ति और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। यहां सिर्फ महिलाओं का राज होता है। धींगा का अर्थ मस्ती से होता है। यह त्‍योहार रातभर चलता है। रात 12 बजे से शुरू होकर सुबह 4 बजे तक महिलाओं की धींगा मस्‍ती जारी रहती है।

मेले का महत्व

दरअसल इस मेले में 16 दिन की पूजा आयोजित होती है। ये पूजा जोधपुर के लोगों के लिए बहुत खास है। इसकी शुरुआत चैत्र शुक्ल की तृतीया से होती है और बैसाख कृष्ण पक्ष की तृतीया को इसका समापन होता है। इस पूजा को शुरू करने से पहले यहां की महिलाएं दीवारों पर गवर का चित्र बनाती हैं।

इतना ही नहीं कच्चे रंग से भगवान शिव, गणेश जी, मूषक, सूर्य, चंद्रमा और गगरी लिए महिला की आकृति भी बनाई जाती हैं। इस गवर को विधवाएं और सुहागिनें दोनों पूजती हैं। कुंवारी लड़कियों के लिए भी यह जरूरी मानी जाती है।

16 अंक का महत्‍व

इस पूजा में 16 अंकों का बहुत महत्व है। 16 महिलाएं एक साथ पूजा करती हैं और फिर एक साथ ही भोजन करती हैं। किसी भी कारण से यह संख्या घटाई या बढ़ाई नहीं जा सकती।

जोधपुर की विरासत

धींगा गवर मेला भारत ही नहीं, विश्‍व का अनूठा त्‍योहार है। यह 500 से ज्‍यादा सालों से मेला जोधपुर की विरासत रहा है। जोधपुर में गणगौर पर 18 दिन तक उत्साह से मनाए जाने की परंपरा है।

स्‍थानीय लोग बताते हैं कि गवर बिठाने की परम्परा की शुरुआत जोधपुर के भीतरी इलाके हड्डियों के चौक से हुई। 1970 के दशक से पहले गवर माता को धींगा गवर के दिन बिठाने की परम्परा आज भी कायम है।