10 महिलाओं ने शुरू किया कचरे से गुड्डे-गुड्डियां बनाने का काम, आज बिजनेस से लाखों में कमाई
success story: आइरिश स्ट्रिल फ्रांस की एक युवा आर्ट और डिजाइन की छात्रा, जिन्होंने 1990 के दशक में भारत की यात्रा की. उनका उद्देश्य था अपने डिप्लोमा प्रोजेक्ट के तहत भारतीय कलाकारों को ऐसे प्रोडक्ट बनाने का प्रशिक्षण देना जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचे जा सकें. इस योजना की खास बात यह थी कि यह कलाकार मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में थे जहां उनकी कला तो शानदार थी लेकिन उसमें वैश्विक बाजार के अनुरूप नवीनता और परिवर्तन की कमी थी.
भारतीय ग्रामीण कलाकारों के लिए आइरिश की योजना
आइरिश ने अपने प्रवास के दौरान अनुभव किया कि शहरी क्षेत्रों में जो कलाकार थे, वे उनके प्रोजेक्ट की मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं थे. इसके विपरीत ग्रामीण कलाकारों में उत्कृष्ट कौशल था जिसे अगर सही दिशा और प्रशिक्षण दिया जाए तो वे वैश्विक मानदंडों पर खरा उतर सकते थे.
कला और रोजगार का संगम
आइरिश की योजना में एक महत्वपूर्ण बदलाव तब आया जब उन्होंने महसूस किया कि शहरों में कपड़ों की बड़ी कंपनियों से निकलने वाला कचरा (Textile waste) एक बड़ी समस्या थी. उन्होंने इस कचरे का उपयोग करने और इसके जरिए रोजगार सृजन की कल्पना की. इस विचार को उनके पति बिश्वाजीत मोइत्रा ने भी समर्थन दिया, जो चाहते थे कि यह पहल आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की मदद करे.
अफगान महिलाओं की मदद से नई शुरुआत
आइरिश की मुलाकात एक एनजीओ के माध्यम से खिड़की गांव में रह रहीं अफगान महिलाओं से हुई, जिन्होंने तालिबान के जुल्मों से बचकर भारत की शरण ली थी. इन महिलाओं को रोजगार की दिशा में सहायता करने का निर्णय आइरिश और बिश्वाजीत ने लिया. उन्होंने 'सिलाईवाली' नामक एक सोशल इंटरप्राइजेज ग्रुप बनाया, जो कपड़ों के कचरे से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार करता है.
अंतर्राष्ट्रीय सफलता की ओर
आइरिश और बिश्वाजीत की यह पहल न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सराही गई. उनके द्वारा बनाए गए उत्पाद अब विश्व के कई बड़े शहरों में बेचे जा रहे हैं. इस प्रोजेक्ट की सफलता ने न केवल आइरिश और बिश्वाजीत को नई पहचान दिलाई है, बल्कि इन अफगान महिलाओं को भी एक नई जिंदगी और सम्मान दिया है.