अकबर के हरम में एकसाथ रहती थी 5000 औरतें, खूबसूरत महिलाओं से भरे हरम में किन्नरो को करना पड़ता था ये काम

मुगल साम्राज्य का इतिहास न सिर्फ युद्धों और विजयों की गाथाओं से भरा पड़ा है बल्कि इसमें कई रहस्यमयी कहानियाँ और अनसुनी घटनाएँ भी शामिल हैं। आज हम ऐसी ही एक कहानी लेकर आए हैं जो अकबर के हरम से जुड़ी है।
 

मुगल साम्राज्य का इतिहास न सिर्फ युद्धों और विजयों की गाथाओं से भरा पड़ा है बल्कि इसमें कई रहस्यमयी कहानियाँ और अनसुनी घटनाएँ भी शामिल हैं। आज हम ऐसी ही एक कहानी लेकर आए हैं जो अकबर के हरम से जुड़ी है। जहां एक ओर अकबर के युद्धों और विजयों की चर्चा होती है।

वहीं उनके हरम के बारे में बहुत कम जानकारी सामने आई है। अकबर के हरम की यह कहानी इतिहास के उन अनछुए पन्नों में से एक है जो हमें मुगल साम्राज्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराती है।

हिजड़ों की भूमिका और उनके सम्मान, हरम की सुरक्षा और हकीमों द्वारा अपनाई गई अनूठी चिकित्सा पद्धतियां ये सभी विषय हमें मुगल साम्राज्य के जटिल और विविधतापूर्ण समाज की झलक प्रदान करते हैं।

हरम में हिजड़ों की भूमिका

अकबर के हरम में लगभग 5 हजार महिलाएँ थीं, जो एक आश्चर्यजनक संख्या है। लेकिन इसके अलावा एक और अनोखा पहलू यह है कि अकबर ने हिजड़ों को भी हरम में रखा था।

इन हिजड़ों को अकबर का विश्वासपात्र माना जाता था और उन्हें हरम की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसका मुख्य कारण यह था कि अकबर चाहते थे कि हरम की सुरक्षा में कोई भी अनावश्यक पुरुष प्रवेश न करे।

हिजड़ों का वेतन और सम्मान

यह जानकर और भी अधिक आश्चर्य होता है कि हरम में काम करने वाले हिजड़ों को वेतन भी दिया जाता था। दरोगा जो कि हरम का मुखिया होता था, को एक हजार रुपये महीना तक का वेतन मिलता था।

यह उस समय के लिए एक बड़ी रकम थी। जो इस बात का संकेत है कि हिजड़ों को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया जाता था।

हरम में हकीम की भूमिका

हरम में बीमारी या स्वास्थ्य समस्या का सामना करने पर हकीमों को विशेष रूप से इलाज के लिए बुलाया जाता था। यह विशेष तरीका जिसमें हकीम मरीज के शरीर को रूमाल से रगड़कर और फिर इसे पानी के जार में डुबोकर बीमारी का पता लगाते थे। उस समय की चिकित्सा प्रणाली की अनोखी विधि थी।