भारत की एक ऐसी जगह जहां जानवरों को रविवार के दिन नही करना पड़ता कोई काम, 100 सालों से भी इस नियम को मानते आ रहे है लोग

दुनिया भर के तमाम देशों में छुट्टियों के नियम अलग-अलग हैं. साप्ताहिक अवकाश के भी नियम अलग हैं. कहीं एक दिन की छुट्टी मिलती है तो कहीं दो दिन की मिलती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी जगह भी है, जहां जानवरों को भी साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है.
 

दुनिया भर के तमाम देशों में छुट्टियों के नियम अलग-अलग हैं. साप्ताहिक अवकाश के भी नियम अलग हैं. कहीं एक दिन की छुट्टी मिलती है तो कहीं दो दिन की मिलती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी जगह भी है, जहां जानवरों को भी साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है. यानी उनके लिए वीक ऑफ का प्रावधान है. आइए इस जगह के बारे में जानते हैं और यह भी जानते हैं कि ऐसा क्यों और कब से है.

दरअसल, झारखंड के लातेहार जिले में यह नियम लागू है, यहां पर गाय-बैल और अन्य जानवरों से काम लिए जाते हैं, उनको रविवार को छुट्टी दी जाती है और वे खेतों की जुताई नहीं करते हैं. इस दिन उनके लिए अवकाश होता है. इसी प्रकार अन्य जानवरों के साथ भी ऐसा है. यह परंपरा आज से नहीं बल्कि कई दशकों से वहां प्रचलन में है.

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एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह परंपरा पिछले 100 सालों से निभाई जा रही है. जिले के हरखा, मोंगर, परार और ललगड़ी सहित 20 गांवों के लोग रविवार को अपने मवेशियों से काम ही नहीं लेते हैं. इस दिन उन्हें हरी- हरी घासें भी खिलाते हैं. इतना ही नहीं उनके लिए खास तरह का पकवान भी बनाया जाता है. 

इस परंपरा या कहें कि अवकाश का कारण भी बताया गया है. बताया जाता है कि 100 साल पहले एक किसान अपने बैल से खेत जोत रहा था और उसके बैल की मौत हो गई. इसके बाद वह दुखी हो गया और जब घर आकर सब को बताया तो यह निर्णय लिया गया कि आज से काम करने वाले सभी जानवरों को सप्ताह में 1 दिन की छुट्टी दी जाएगी. उन्हें आराम दिया जाएगा कहा. जाता है तभी से यह परंपरा आज तक निभाई जा रही है.