भारत में सबसे पहले इस रूट पर चली थी AC ट्रेन, डिब्बों को ठंडा रखने के लिए रखी जाती थी बर्फ की सिल्लियां
भारतीय रेलवे जो आज दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक है। भारतीय रेलवे ने अपने आरंभिक दिनों से लेकर अब तक अनेकों यात्रियों की यात्रा को सुगम बनाया है। इसके विकास की गाथा न केवल तकनीकी प्रगति की कहानी कहती है। बल्कि यह भारतीय समाज के विकास का भी प्रतीक है।
भारतीय रेल
भारतीय रेलवे की स्थापना के साथ ही इसने देश के कोने-कोने को जोड़ने का काम शुरू किया। आज भारत में रेल मार्ग की कुल लम्बाई 67,956 किलोमीटर है। जो कि रनिंग ट्रैक, यार्ड और साइडिंग सहित 1,26,366 किलोमीटर तक विस्तृत है। यह विशाल नेटवर्क न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता है। बल्कि यह रोजाना लाखों यात्रियों की आवाजाही को भी संभव बनाता है।
पहली एसी ट्रेन का आगमन
1934 में, भारत में पहली बार एसी ट्रेन का संचालन किया गया। 'फ्रंटियर मेल' जिसे बाद में 'पंजाब मेल' के नाम से जाना गया। 'फ्रंटियर मेल' ने बॉम्बे से अफगानिस्तान के बॉर्डर तक की यात्रा शुरू की। उस समय बिजली की अनुपलब्धता के कारण एसी कोच में ठंडक प्रदान करने के लिए बर्फ का उपयोग किया जाता था। यह तकनीकी चुनौती न केवल नयी सेवा का प्रतीक थी। बल्कि यह उस समय की इंजीनियरिंग क्षमता को भी दर्शाता है।
ऐतिहासिक सफर और महत्वपूर्ण यात्री
'पंजाब मेल' की यात्रा न केवल लंबी दूरी को कवर करती थी। बल्कि इसने कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों को भी अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। इस ट्रेन का उपयोग ब्रिटिश अधिकारियों के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा भी किया गया था। नेता सुभाष चन्द्र बोस और महात्मा गांधी जैसी हस्तियों ने भी इस ट्रेन का सफर किया, जो कि इसकी प्रतिष्ठा को और भी बढ़ाता है।
सांस्कृतिक महत्व और आधुनिकता का मिश्रण
आज के समय में भी भारतीय रेलवे अपने विशाल नेटवर्क और विविध सेवाओं के माध्यम से लोगों की यात्रा को सुखद और सुविधाजनक बनाने के लिए प्रयासरत है। इसका ऐतिहासिक विकास और नवाचारी उपाय भारतीय समाज के साथ इसके गहरे संबंध को प्रकट करते हैं।