आखिर किस कारण मगरमच्छ और घड़ियाल के आंसू होते है झूठे, जाने इस कहावत के पीछे की असल सच्चाई
हमने बचपन से तमाम ऐसे मुहावरे और कहावतें सुनी हैं जिन्हें हम इस्तेमाल भी धड़ल्ले से करते हैं लेकिन इसके पीछे की असल वजह नहीं जानते। कुछ ऐसी ही कहावतों में शुमार है जैसे घड़ियाली आंसू बहाना। आखिर घड़ियाल और मगरमच्छ के आंसू में ऐसा क्या खास होता है जो उन्हीं का नाम झूठे आंसू बहाने के लिए लिया जाता है ?
क्या वो हमेशा ही झूठे आंसू बहाते हैं या फिर कुछ और वजह है इस कहावत के पीछे। किसी को झूठे आंसुओं से भ्रमित करने के लिए घड़ियाली आंसू कहावत का इस्तेमाल किया जाता है। यूं तो हर प्राणी दुखी होने पर आंखों से आंसू छलकाता है लेकिन मगरमच्छ और घड़ियाल के आंसू कुछ ज्यादा ही मशहूर हैं।
वैज्ञानिकों ने इसे लेकर रिसर्च भी की और इसमें कुछ बातें सामने आईं जो इस तथ्य को स्पष्ट करती हैं। अगर घड़ियाली आंसू की कहावत है तो इसके पीछे की खास वजह भी आज जान लीजिए।
घड़ियाली आंसुओं पर हुई रिसर्च
वैज्ञानिकों ने इंसान से लेकर जानवरों के आंसुओं पर रिसर्च किया तो उन्हें पता चला कि सभी के आंसुओं में एक जैसे कैमिकल ही होते हैं और ये टियर डक्ट से बाहर आते हैं। एक खास ग्लैंड से आंसू निकलते हैं और इनमें मिनरल्स और प्रोटीन होते हैं।
जहां तक बात मगरमच्छ के आंसुओं की है तो साल 2006 में न्यूरोलॉजिस्ट D Malcolm Shaner और ज़ूलॉजिस्ट Kent A Vliet ने अमेरिकन घड़ियालों पर रिसर्च की। उन्हें पानी से दूर सूखी जगह पर खाना दिया गया तो उनकी आंखों से खाते वक्त आंसू निकलने लगे।
उनकी आंखों से बुलबुले और आंसू की धार निकल पड़ी। बायो साइंस में इस स्टडी का परिणाम देते हुए कहा गया कि मगरमच्छ वाकई खाते हुए आंखों से आंसू बहाते हैं जो किसी भावना का परिणाम नहीं हैं।
घड़ियाल और मगरमच्छ का अंतर
हालांकि आंसू घड़ियाल और मगरमच्छ दोनों ही खाना खाते वक्त बहाते हैं लेकिन इन दोनों में थोड़ा फर्क होता है। घड़ियाल का मुंह जहां यू के आकार का होता है और जबड़ा चौड़ा होता है वहीं मगरमच्छ का मुंह वी आकार का होता है। दिलचस्प बात ये भी है कि मगरमच्छ के आंसुओं को पीने का काम मक्खियां करती हैं।
क्योंकि इनमें पर्याप्त प्रोटीन और मिनरल्स होते हैं। अब एक बात और घड़ियाल और मगरमच्छ की भी भावनाएं होती हैं और दुखी होने पर भी वो आंसू बहाते हैं लेकिन खाते वक्त आंखों से बहने वाले लिक्विड ही उन्हें बदनाम करता है।