तवायफ बनने के बाद महिलाओं को देने पड़ते थे ये बलिदान, ना चाहते हुए भी करना पड़ते ये काम
तवायफों की दुनिया हमेशा से रहस्य और रोमांच से भरी रही है. उनकी जिंदगी को अक्सर ग्लैमर और वैभव से जोड़कर देखा गया है जहाँ वे अपनी कला के जरिए नाम और शोहरत कमाती हैं. लेकिन, इस चमक-दमक के पीछे छिपी है उनकी असली दुनिया, जो त्याग, संघर्ष और बलिदानों से भरी पड़ी है.
1. परिवार से दूरी
जब भी कोई तवायफ कोठे पर लाई जाती थी उसे अपने परिवार और पहचान को पीछे छोड़ना पड़ता था. यह उनका पहला और सबसे कठिन बलिदान होता था. इस नए जीवन में उनकी पहचान उनकी कला और उनके हुनर से होती थी न कि उनके पारिवारिक नाम से.
2. अंतहीन रियाज
तवायफों को अपनी कला में माहिर बनने के लिए निरंतर रियाज करना पड़ता था. यह रियाज उन्हें रोज़ाना कई घंटों तक करना होता चाहे उन्हें शारीरिक पीड़ा ही क्यों न हो. यहां तक कि मासिक धर्म के दौरान भी उनका यह रियाज नहीं रुकता था.
3. गर्भपात की पीड़ा
तवायफों के जीवन में शायद सबसे दर्दनाक बलिदान तब होता था जब उन्हें गर्भवती होने पर गर्भपात कराना पड़ता था. यह उनके लिए न केवल शारीरिक बल्कि भावनात्मक रूप से भी कष्टदायी होता था. अगर कभी बच्चा होता भी था तो उसे अपने से दूर करना पड़ता था.
4. दासी की जिंदगी
कई तवायफें ऐसी भी थीं जिन्हें अपने कोठे पर दासी की तरह जीवन यापन करना पड़ता था. उन्हें अपनी मर्जी के खिलाफ कई काम करने पड़ते थे और उनका जीवन अन्य लोगों की इच्छाओं के अनुसार चलता था.
5. प्यार से वंचित
तवायफों को कोठे पर आने के बाद प्रेम का रिश्ता नहीं जोड़ने दिया जाता था. उनकी जिंदगी में प्रेम का आगमन बहुत कम होता था क्योंकि उन्हें अपनी भावनाओं को दबाकर रखना पड़ता था. इस तरह उन्हें अपनी भावनाओं को छुपाकर जीना पड़ता था और यह उनके लिए अत्यंत पीड़ादायक होता था.