ज़हरीला कोबरा सांप जान लेने के अलावा बचाता है लोगों की जिंदगी, कोबरा के जहर से बनती है ये खास दवाएं

भारत में हर साल सांप के काटने से लगभग 60 हजार लोगों की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 2000 से 2019 के बीच लगभग 12 लाख लोग सर्पदंश से मर चुके हैं।
 

भारत में हर साल सांप के काटने से लगभग 60 हजार लोगों की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 2000 से 2019 के बीच लगभग 12 लाख लोग सर्पदंश से मर चुके हैं। यह आंकड़े न केवल चिंताजनक हैं बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि सर्पदंश भारत में एक गंभीर समस्या है।

जहर का महत्वपूर्ण उपयोग

सांप का जहर जितना खतरनाक है उतना ही उपयोगी भी है। इसका इस्तेमाल विषरोधक दवाओं के निर्माण में होता है जिन्हें एंटीवेनम कहा जाता है। इन दवाओं के बिना सर्पदंश से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज कर पाना संभव नहीं होगा। इसके अलावा, सांप के जहर का इस्तेमाल विभिन्न चिकित्सीय प्रयोगों में भी किया जाता है, जैसे कि दर्द निवारक दवाओं और रक्तपतन रोकने वाली दवाओं में।

जहर की कीमती खासियत

सांप के जहर की कुछ प्रजातियां सोने से भी महंगी होती हैं। उदाहरण के लिए भारत में पाए जाने वाले स्पेक्टेकल्ड कोबरा का एक ग्राम जहर की कीमत साढ़े बारह हजार रुपये तक हो सकती है। इस ज्यादा कीमत का मुख्य कारण जहर का दुर्लभता और इसके चिकित्सीय उपयोग हैं।

पारंपरिक चिकित्सा में जहर का इतिहास

प्राचीन काल से ही सांप के जहर का उपयोग चिकित्सा में किया जाता रहा है। थेरिएक जैसे प्राचीन औषधीय मिश्रण, जिसमें सांप के जहर का उपयोग होता था, का इस्तेमाल विषाक्तता और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता था।

आधुनिक चिकित्सा में जहर की भूमिका

आधुनिक विज्ञान ने सांप के जहर के अनेक नए उपयोगों की खोज की है। आज इसका उपयोग हृदय रोग, मधुमेह जनित गुर्दा रोग, और हृदय विफलता के इलाज में किया जाता है। इस प्रकार, सांप का जहर जीवन रक्षक भी है और जीवन संहारक भी।

भारतीय संदर्भ में जहरीले सांप

भारत में 272 प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं, जिनमें से 58 जहरीले हैं। इनमें करैत, रसल्‍स वाइपर, सॉ-स्‍केल्‍ड वाइपर और इंडियन कोबरा सबसे खतरनाक हैं। इनके जहर का उपयोग विभिन्न चिकित्सीय उपयोगों के लिए किया जाता है, जिससे इनकी मांग और भी बढ़ जाती है।